सत्यवादी
प्रस्तुति: डॉ0 संतोष राय
अल्लाह
अपने रसूल और उनकी ग्यारह पिढियो को नही बचा सके.सभी की ह्त्या की गयी .तो हम
मुश्किल मे होगे तो कैसे बचायेगा. -मुहम्मद का वंश बर्बाद हो गया ?.सभी का नाम व
विवरण यहा दिया जा
रहा है...
अल्लाह ने
मुहम्मद को सिर्फ एक ही लड़का दिया था .जिसका नाम मुहम्मद ने इब्राहीम रखा था
.लेकिन वह कुछ समय के बाद मर गया था .मुहम्मद की पहिली पत्नी खदीजा से सिर्फ एक
लड़की फातिमा हुई थी .जिसके बारे में मेरी पिछली पोस्ट में दिया गया है अगर हम
फातिमा को मुहम्मद का वंशज मानें तो आप देखेंगे कि फातिमा के वंश में दस पुश्तों
तक कोई भी अपनी आयु पूरी नहीं कर सका .सभी की ह्त्या की गयी और सब दुखदायी मौत
मारे गए .देखिये विवरण -
1-अली -पिता
अबूतालिब ,यह मुहम्मद के दामाद और फातिमा के पति थे इनके
ही पुत्र हसन और हुसैन थे सन 661में
इनको अब्दुल रहमान नामके आदमी ने जहर बुझा खंजर मार कर ह्त्या की थी .इनका मजार
नजफ़ में है
2- इमाम हसन -खलीफा
मुआविया के कहने पर हसन की औरत ने हसन को जहर देकर मारा था सन 680 में इनकी मौत हुई और इनको मदीना में जन्नतुल
बाक़ी में दफन किया गया
3- इमाम हुसैन -इनको
कर्बला के मैदान में यजीद की फौजों ने इनके परिवार के 72 लोगों के साथ क़त्ल कर दिया था .इनकी कब्रें
कर्बला में हैं आज भी शिया इनका मातम करते हैं
4-जैनुल आबीदीन -यह
हुसैन के पुत्र थे 659
में खलीफा अल
वलीद के कहने पर जहर देकर मारा गया था.इनकी कब्र मदीना में है .
5-मुहम्मद वाकिर या
अली -इनको भी 732
में इब्राहीम
इब्ने अब्दुल सत्तार ने जहर देकर मारा था .ह्त्या का आदेश खलीफा हिशाम इब्ने अब्दे
मालिक ने दिया था .इनकी कब्र मदीना में है .
6-जाफर सादिक -पिता
का नाम मुहम्मद इसे भी 765
में खलीफा मंसूर
के हुक्म से जहर देकर मारा गया था .कब्र मदीना में है
7- मुसा काजिम- पिता
जाफर -इसे भी बगदाद में खलीफा हारून अल रशीद ने कैद कर लिया था ,और 799 में
जहर देकर मार दिया था .कब्र काजियान बगदाद में है
8- अली इब्ने मूसा
-इसको भी खलीफा अल मामून ने 817 में
तूस नाम की जगह में जहर देकर ह्त्या की थी.इसकी कब्र मशहद में है
9-मुहम्मद इब्ने
अली तकी-इसकी ह्त्या भी खलीफा मुतास्सिम के कहने से इसकी औरत ने की थी.
10-हसन इब्ने
मुहम्मद- इसे भी खलीफा मुताम्मिद के आदेश से 874 में
जहर देकर मारा गया था
इस विवरण से आप
खुद समझ सकते हैं कि अगर मुहम्मद अल्लाह का इतना प्यारा था कि लोगों को दोजख से
बचा सके तो अल्लाह ने उसके वंशजों को क्यों नही बचाया .एक भी फ़रिश्ता नहीं भेजा न
कोई चमत्कार ही किया.
शायद मुहम्मद को
आभास हो गया था कि उसके कर्मों का फल उसकी औलादों को भुगतना पडेगा .इसी लिए उसने
मुसलमानों को कहा था कि वे हरेक नमाज के बाद उसकी औलादों के लिए दुआ करते रहें .इस
दुआ को दरूद कहा जाता है .यह नमाज का जरूरी अंग है.
मुझे पूरा यकीन
है ,कि इस तारीखी हकीकत को जानकार जाकिर नाइक की
शिकायत दूर हो गयी होगी कि कोई हवाला नहीं दिया जाता है .इस्लाम की सारी तारीख की
किताबों में यह हवाले मिल जायेंगे.यह भी कहा गया था कि आज भी फातिमा के वंशज हैं ,लेकिन आज जो खुद को सय्यद बताकर खुद को फातिमा
के वंशज होने का दावा करते वे सब या तो इस्माइली हैं या बोहरा या इशना अशरी ,जिन्हें सुन्नी काफिर तक कह देते हैं अजमेर के
खादिम टीका भील की औलादें हैं और खुद को सय्यद बताते हैं .
दूसरी बात यह है
कि अगर कोई हिन्दू की तारीफ़ करे ,या
शायरी करे तो दोजखी कैसे हो सकता है .बताये गए मुहम्मद के वंशजों की हत्याएं जिन
लोगों ने की थी उनको मुसलमान रजी अल्लाहू अन्हु कहकर आदर करते हैं क्या यह हत्यारे
जन्नत में ,और सिर्फ शायरी करने से दोजख में चले
जायेंगे.मेरा सिर्फ यही सवाल है ,जो अल्लाह अपने
प्यारे नबी की औलादों की हिफाजत नहीं कर सका वह मुसलमानों को क्या बचा सकेगा .जबकी
ह्त्या करने वाले कलमा पढ़ने वाले ,और
सहाबा भी थे .इसके बारे में जल्द ही पोस्ट करेंगे .इंतज़ार करिए
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