Wednesday, December 26, 2012

मुहम्मद की दर्दनाक मौत का कारण !


डॉ0 संतोष राय

आज तक लोग यही बात मानते आये हैं ,कि मुहम्मद साहब अपनी आयु पूरी करके कुदरती मौत से मरे थे . लेकिन इस्लामी इतिहास की किताबों और हदीसों का गहन अध्ययन करने के बाद और कुरान को पढ़ने बाद यह बात सिद्ध होती है कि खुद अल्लाह ने मुहम्मद साहब के गले की मुख्य धमनी कटवा दी थी . जिस के कारण मुहम्मद साहब की बड़ी दर्दनाक मौत हो गयी थी .इस लेख में इसी सत्य को विस्तार से सप्रमाण प्रस्तुत किया जा रहा है ,ताकि झूठ का भंडाफोड़ हो सके
धर्म के नाम पर भोले भाले लोगों को गुमराह करके ,सम्पति और सता हथियाना यह कोई नयी बात नहीं है .भारत में भी अनेकों फर्जी अवतार , सिद्ध और चमत्कारी बाबा हो चुके हैं .चूंकि यहूदी ,ईसाई और इस्लाम धर्म में अवतार नहीं होते ,इसलिए इन धर्मों में नबी और रसूल होते हैं .और अक्सर ऐसे नबी या रसूल अपनी कामना पूर्ति के लिए शैतान के वश में हो जाते थे . और सत्य की जगह असत्य का प्रचार करने लगते थे .यह बात कुरान  से पता चलती है . इसमें कहा है ,

1-सभी नबी स्वार्थी होते थे

अक्सर देखा गया है कि बड़े बड़े संत महात्मा भी , लोभ के वश में आकर सत्य का मार्ग छोड़ देते हैं . ऐसे ही अल्लाह ने जितने भी नबी और रसूल भेजे थे ,वह निजी स्वार्थ और कामना पूर्ति के लिए शैतान के प्रभाव में आकर सत्य के साथ असत्य मिला देते थे . और लोगों को गुमराह करते थे . कुरान में इस आयत यही बताया है ,
"हे नबी तुम से पहले जो नबी और रसूल भेजे गए ,उन्होंने शैतान के प्रभाव में आकर अपनी कामना पूर्ति के लिए सत्य के साथ असत्य मिला दिया था ."
सूरा -अल हज्ज 22:52

2-झूठे नबियों की सजा

बाइबिल यानी तौरेत में उन सभी झूठे नबियों को मौत की सजा बताई है , जो अपने मन से वचन बोलते थे और लोगों से कहते कि यह ईश्वर के वचन हैं .
 और उस झूठे  नबी ने अभिमान में आकर जो भी कहा हो तू उस से भय नहीं खाना " बाइबिल .व्यवस्था विवरण -अध्याय 18 :22
 और जो नबी अभिमान करके ,ऐसे वचन कहे जिसकी आज्ञा मैंने उसे नहीं दी गयी हो ,और वह अपने नाम से कुछ भी कहे , तो वह नबी मार डाला जायेगा "
बाइबिल .व्यवस्था विवरण -अध्याय 18 :20-21 

3-मुहम्मद मानसिक रोगी थे

इन प्रमाणिक हदीसों से सिद्ध होता है कि मुहम्मद साहब का मानसिक संतुलन ठीक नहीं था . और उनको इलाज की जरूरत थी
"जबीर बिन अब्दुल्लाह ने कहा ,एक बार जब काबा की फिर से मरम्मत हो रही थी , और मैं रसूल के साथ पत्थर ढो रहा था . मैंने रसूल से कहा आप अपनी तहमद (Waist Sheet ) ऊंची कर दीजिये , ताकि उलझ कर आपको चोट न लग जाये . फिर जैसे ही रसूल ने तहमद ऊँची की . वह अचानक चिल्लाने लगे ,लाओ मेरी तहमद , मेरी तहमद कहाँ है . जबकि तहमद कमर में बंधी हुई थी " बुखारी -जिल्द 5 किताब 58 हदीस 170

"आयशा ने कहा रसूल हमेशा कल्पनाएँ (Fancy ) करते रहते थे .उनको ऐसा भ्रम होता था कि वह कुछ काम कर रहे हैं ,या कह रहे हैं ,लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता था . मैंने उनका इलाज भी करवाया था . एक दिन दो लोग रसूल के पास आये और बोले आपका दिमाग भ्रमित (Bewiched ) हो गया है "
बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 490

4-मुहम्मद शैतान के दोस्त

मुहम्मद साहब ने अपनी मानवता विरोधी बातों अल्लाह के वचन साबित करने के लिए लोगों में यह बात फैला दी ,कि मैं तो अनपढ़ हूँ , यह आयतें अल्लाह का फ़रिश्ता भेजता है .लेकिन कुछ लोग जानते थे कि मुहम्मद शैतान के दोस्त थे . इस हदीस में कहा है ,
. जुन्दाब बिन अब्दुल्लाह ने कहा ,कि कुरैश की औरतें कहती थीं , मुहम्मद से जिब्राईल नहीं शैतान मिलता था . और मुहम्मद पर उसी का प्रभाव था। "
बुखारी -जिल्द 2 किताब 21 हदीस 225

5-मुहम्मद को फ़रिश्ते का भ्रम

मानसिक रोगी होने के कारण मुहम्मद साहब को फ़रिश्ते ही फ़रिश्ते दिखाई देते थे , यहाँ तक वह अपनी पत्नी आयशा को भी फ़रिश्ता देखने पर मजबूर करते थे 'जबकि सब जानते थे कि रसूल को भ्रम हो गया है . फिर भी वह डर के मारे हाँ में हाँ मिलाते रहते थे .
आयशा ने कहा कि रसूल जब चाहे मुझसे कहते रहते थे ,आयशा वहां देखो ,जिब्राईल तुम्हें सलाम कर रहा है .लेकिन मुझें वहां कोई दिखाई नहीं देता था ."
बुखारी -जिल्द 8 किताब 74 हदीस 266

 अबू सलमा बिन अब्दुर रहमान बिन ऑफ ने अबू हुरैरा से पूछा क्या आपने कभी रसूल को जिब्राईल से बातें करते हुए देखा है , या उनकी बातें सुनी हैं .तो हुरैरा ने कहा कि शायद रसूल को ऐसा भ्रम हो गया है . कि वह किसी से बातें कर रहे हैं " बुखारी -जिल्द 8 किताब 73 हदीस 173

6-लड़के को फ़रिश्ता समझा

अरब के मुसलमान समलैंगी होते हैं . कई खलीफा ऐसे (Homosexual ) थे . ऐसा ही कोई सुन्दर लड़का मुहम्मद के पडौस में रहता होगा जिसे मुहम्मद ने फ़रिश्ता समझ लिया होगा . क्योंकि मानसिक रोगी को अजीब अजीब चीजें दिखती रहती हैं .इसलिए मुहम्मद ने एक लडके को फ़रिश्ता समझ लिया . जैसा इस हदीस में है .
अबू उस्मान ने कहा कि जब मुझे खबर मिली कि जिब्राइल रसूल से मिलने आया करता है .और रसूल के जाने के बाद उम्मे सलमा ने भी उस से बात की है .इसलिए जब मैंने उम्मे सलमा से पूछा कि जिब्राईल कैसा दिखता है .तो उम्मे सलमा ने कहा अल्लाह की कसम है , वह एक खुबसूरत लड़का (Dihya ) है ."
बुखारी -जिल्द 4 किताब 56 हदीस 827

अबू उस्मान ने कहा कि ,एक बार जिब्राईल रसूल के घर आया , उस समय उम्मे सलमा भी मौजूद थी ,अचानक रसूल बाहर चले गए . और उम्मे सलमा जिब्राईल से बातें करने लगी ,तभी रसूल आगये और बोले यह कौन है , इसे अन्दर आने की अनुमति किस ने दी , उम्मे सलाम बोली यह एक " दियत कलबी " ( सुन्दर युवक دَحْيَةَ الْكَلْبِيِّ  "  ( a handsome person  )है " बुखारी - जिल्द 6 किताब 61 हदीस 503

7-मुहम्मद शैतान के वश में

मानसिक संतुलन खराब हो जाने से धीमे धीमे मुहम्मद साहब शैतान के वश में हो गए ,और वह अल्लाह के नाम से शैतान के वचन सुनाने लगे .क्योंकि कोई स्वस्थ व्यक्ति जिहाद की बातें नहीं कहता ,
आयशा ने कहा रसूल पर जादू का प्रभाव था .उनको ऐसा लगता था कि वह कुछ काम कर रहे हैं ,लेकिन वह कुछ नहीं करते थे . उनको लगता था कि अल्लाह उनको सन्देश भेज रहा है . एक दिन रसूल ने मुझे बताया .कि मेरे पास दो व्यक्ति आये एक मेरे पास , दूसरा मेरे कदमों के पास बैठ गए . एक ने कहा इस मुहम्मद को क्या बीमारी है , दूसरा बोला यह शैतान के प्रभाव में है " बुखारी -जिल्द 7 किताब 71 हदीस 661

8-अल्लाह की चेतावनी

और जब अल्लाह को पता चला कि उसका रसूल हमारे नाम से झूठी बातें गढ़ रहा है ,और फसाद फैला रहा है ,तो अल्लाह में मुहम्मद को यह अंतिम चेतावनी दे डाली .
"और यह नबी ( मुहम्मद ) यदि हमारे नाम से कोई बात गढ़ता है ,सूरा -हाक्का 69:44

وَلَوْ تَقَوَّلَ عَلَيْنَا بَعْضَ الْأَقَاوِيلِ

Now if he  had dared to attribute some [of his own] sayings unto Us, 69:44

" तो हम हम इसकी गर्दन की धमनी ( Aorta ) काट डालेंगे " सूरा -हाक्का 69:46
ثُمَّ لَقَطَعْنَا مِنْهُ الْوَتِينَ
and would indeed have cut his life-vein, 69:46

9-मुहम्मद ने गुनाह कबूला

यद्यपि इन प्रसिद्ध इस्लामी इतिहास के अनुसार मुहम्मद ने स्वीकार किया था , कि मैंने अल्लाह के नाम पर लोगों को गुमराह किया था .शैतान के प्रभाव में आकर फर्जी आयतें सुनाता था .
"आखिर एक दिन मुहम्मद ने खुद अपना गुनाह कबूल करते हुए कहा ,कि मैंने अल्लाह के बहाने लोगों को धोखा दिया है .और मैंने अल्लाह के नाम से अपनी ऐसी बातें कहीं है , जो अल्लाह ने नहीं कही थीं "

 Muhammad later reversed himself, confessing, "I have fabricated things against Allah and have imputed to him words which he has not spoken.as Allah's.

"محمد انعكس في وقت لاحق نفسه، يعترف، "لقد ملفقة ضد الله والأشياء المنسوبة اليه والكلمات التي لم يكن قد قال في والله.  "

 (Al Tabari, The History of Al-Tabari, vol. 6, p.111

(तबरी -तबरी का पूरा नाम "अबू जाफर मुहम्मद इब्न जरीर अल तबरी أبو جعفر محمد بن جرير بن يزيد الطبري"है .इसका जन्म सन 838 ईस्वी में ईरान के प्रान्त तबरिस्तान में हुआ था . और मृत्यु सन 9230 में हुई थी .तबरी ने कुरान की व्याख्या में आयतों की ऐतिहासिक प्रष्ठभूमि ,और घटनाक्रम भी दिया है . और मुहम्मद के जीवन की ऐसी बातें भी लिखी हैं , जिसे दुसरे मुस्लिम इतिहासकारों ने नहीं लिखा है .)
"मुहम्मद ने कहा कि भूल से शैतान की वाणी सुना दी थी "

and said he had mistaken the words of "Satan"

"وقال انه مخطئ على حد قول "الشيطان  "

 (Ibn Ishaq, Sirat Rasul Allah, pp.165-166)
(इब्न इशाक -इसका पूरा नाम " मुहम्मद इब्न इसहाक इब्न यासिर इब्न खियार محمد بن إسحاق بن يسار بن خيار, " था लोग उसे सिर्फ " इब्न इसहाक ابن إسحاق" कहते हैं .इसका अर्थ इसहाक का पुत्र होता है .यह अरब का महान इतिहासकार था ,और अब्बासी खलीफा मंसूर के समय मौजूद था .इसहाक में मुहम्मद की जीवनी के बारे में प्रमाण इकट्ठे किये थे . जिसे हदीस की तरह प्रमाणिक माना जाता है .इसकी मृत्यु सन 761 या 7670 में हुई था इब्न इसहाक ने दो किताबें लिखी हैं .1 . सीरते रसूलल्लाह "سيرة رسول الله "(Life of the Messenger of God)और 2.अल सीरा अल नाबीबिय्या " السيرة النبوية"( Prophetic biography  )इन किताबों में इस्लाम से पहले की घटनाएँ भी दर्ज है . और मुहम्मद के बारे में छोटी से छोटी बातें भी लिखी हैं .जानकारी के लिए यह विडियो देखिये -
How did Muhammad die? Allah killed him for being a false prophet and lair


http://www.youtube.com/watch?v=hlikOiMYHTI

10-मुहम्मद की दर्दनाक मौत

लगता है कि अपना गुनाह कबूल करने बाद भी मुहम्मद साहब ने अपनी आदतें नहीं छोडी , और शान्ति की जगह ,जिहाद , हत्या , लूट ,जैसी बातें लोगों को सिखाते रहे .शायद इसी बात पर नाराज होकर अल्लाह ने सजा के रूप में उनकी मौत का इंतजाम कर दिया था .और उनको ऐसी कष्टदायी मौत दी थी . कि जिसे देख कर भविष्य में किसी को फर्जी रसूल बनने की हिम्मत नहीं हो .यह इन हदीसों से साबित होता है ,
इब्न अब्बास ने कहा , कि मेरे साथ उमर बिन खत्ताब ,और अब्दुर्रहमान बिन ऑफ बैठे हए थे , उमर ने मुझ से कहा कि मैं आपका सम्मान करता हूँ , क्योंकि आपका दर्जा ऊंचा है .क्या आप सूरा -नस्र 110:1 की इस आयत का खुलासा करेंगे "जब अल्लाह की मदद आएगी ,तो विजय हो जाए " यह बात रसूल की बीमारी के बारे में हो रही थी .उमर ने कहा मुझे इसका मतलब समझ में नहीं आया .क्योंकि रसूल आयशा से कह रहे थे ,"आयशा मैंने खैबर में जो खाना खाया था . उसी के कारण यह भयानक दर्द हो रहा है . ऐसा लग रहा है कि उसी खाने के जहर से मेरी मुख्य धमनी (Aorta ) को कोई काट रहा है "
(Narrated 'Aisha: The Prophet in his ailment in which he died, used to say, "O 'Aisha! I still feel the pain caused by the food I ate at Khaibar, and at this time, I feel as if my aorta is being cut from that poison.)
बुखारी -जिल्द 4 किताब 59 हदीस 713

अबू हुरैरा ने कहा ,खैबर में एक यहूदिन ने एक भेड़ पकाकर रसूल को दावत खिलाई थी .जिसमे तेज जहर मिला हुआ था . रसूल ने उस गोश्त को खाया .जब "बिश्र अल बरा इब्न मासूर अंसारी "उस गोश्त को खाते ही मर गया , तो रसूल ने उस औरत को क़त्ल करा दिया . तब तक जहर का असर रसूल पर होने लगा था .वह दर्द से कराहने लगे और कहने लगे ,ऐसा लग रहा है कि जैसे कोई मेरी मुख्य धमनी (Aorta)को काट रहा है .
" الأَكْلَةِ الَّتِي أَكَلْتُ بِخَيْبَرَ فَهَذَا أَوَانُ قَطَعَتْ أَبْهَرِي ‏ ‏.‏"

सुन्नन अबू दाऊद - किताब 41 हदीस 18(Reference Sunan Abi Dawud 4511,English translation  : Book 40, Hadith 4496 )

11-मुहम्मद की मौत की तारीख

इस्लामी इतिहासकारों के अनुसार मुहम्मद साहब की मौत उस धीमे जहर के कारण हुई थी , जो उनको खैबर के युद्ध में ख्हने में मिलाकर दिया गया था .खैबर का युद्ध हिजरी 6 और 7 के बीच ( सन 628 और 629) में हुआ था . और तब से वह जहर मुहम्मद साहब पर अपना असर दिखा रहा था .और उसी जहर उनके गले की धमनी में भयानक दर्द होता रहता था .आखिर करीब तीन चार साल कष्ट भोग कर 10 हिजरी 8 जून सन 632 को मुहम्मद साहब की मृत्यु हो गयी .
निष्कर्ष-इन सभी प्रमाणों से यह बातें सिद्ध होती हैं कि 1. धर्म के नामपर पाखंड करना , अल्लाह के नाम पर फर्जी आयतें बना कर जिहाद की शिक्षा देकर अशांति फैलाने लोगों का एक न एक दिन भंडाफोड़ हो जाता है ,2..और यदि कोई अल्लाह को माने या ईश्वर को माने यह अटल सत्य है " जो जैसा करेगा उसे वैसा ही फल मिलेगा ."चाहे वह मुहम्मद हो , या ओसामा बिन लादेन . हमें याद रहना चाहिए कि मुहम्मद ने ही क़ुरबानी की रीती निकाली थी . ताकि जिहादी निर्दयी बन जाएँ ,मुहम्मद के कहने पर मुसलमान हर साल जैसे लाखों मूक जानवरों के गले पर छुरी फिर देते हैं , वैसे ही मुहम्मद की मौत गर्दन की मुख्य धमनी कटने से हुई थी . जैसे जानवर तड़प तड़प कर मर जाते है . वैसे मुहम्मद एडियाँ रगड़ कर मर गए . यही कारण है कि अल्लाह ने मुहम्मद के बाद कोई रसूल नहीं बनाया ,क्योंकि अल्लाह को पता है कि कोई भी मुसलमान सदाचारी और शांतिप्रिय नहीं होता .
हमें मुहम्मद के अंजाम से सबक लेने की जरुरत है !

http://www.billionbibles.org/sharia/muhammad-false-prophet.html

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Saturday, December 22, 2012

मुहम्मद की दौलत का भंडाफोड़ !



डॉ0 संतोष राय

आज हमें मुहम्मद साहब के चरित्र से शिक्षा लेने की जरुरत है . ऐसा इसलिए नहीं कि वह अल्लाह के सच्चे अनुयायी और सबसे प्यारे अंतिम रसूल थे . बल्कि इसलिए नहीं कि वह जोभी गलत काम करते थे उसे जायज बताने के लिए अल्लाह की तरफ से कोई न कोई आयत कुरान में जोड़ देते थे . यानि अपने सभी गलत कामों में अल्लाह को शामिल कर लेते थे . यद्यपि मुस्लिम विद्वान् दावा करते हैं कि मुहम्मद साहब एक सच्चे सीधे और सदा व्यक्ति थे ,और उनको धन संपत्ति से कोई मोह नहीं था . और न उन्होंने जीवन भर में किसी प्रकार की दौलत और जमीन अपने पास रखी थी . लेकिन हदीसों और इस्लाम की इतिहास की किताबों से सिद्ध होता है कि मुहम्मद साहब दुनिया में एकमात्र ऐसे नबी थे इस्लाम की जगह अपनी दौलत पर अधिक प्यार था . उनको इस्लाम की नहीं दौलत की चिंता बनी रहती थी , जो इस हदीस से सिद्ध होता है ,

1-महालोभी और लालची रसूल

मुहम्मद साहब को धन संपत्ति का कितना मोह और लालच था , इसे साबित करने के लिए यह एक ही हदीस काफी है ,
"उकबा बिन आमिर ने कहा कि रसूल कहते थे कि मुझे इस बात की कोई चिंता नहीं है कि मेरी मौत के बाद तुम इस्लाम त्याग कर फिर से मुशरिक हो जाओ , लेकिन मुझे तो इस बात की सबसे बड़ी चिंता लगी रहती है , कि कहीं मेरी संपत्ति दूसरों हाथों में न चली जाये "
बुखारी-जिल्द 2 किताब 2 हदीस 428

2-बद्र की लूट

मुहम्मद के साथी पहले भी काफिले लूटते थे , और मुहम्मद की कई औरतें भी थी ,जिनका खर्चा चलाना कठिन हो रहा था ,इसलिए मुहम्मद जब अपने परिवार और साथियों के साथ मदीना में रहने लगे , तो लूटमार करने लगे . इसका नाम उन्होंने "गजवा " रख दिया था जिसका अरबी बहुवचन " गजवात " होता है .जिसका वास्तविक अर्थ "युद्ध (Battle ) नहीं बल्कि "छापा  raids  " या लूट  (plundering)  होता है .मुहम्मद ने अपने जीवन में ऐसे कई गजवे (छापे ) किये , और लूट का माल घर में भर लिया था .चूँकि मदीना से कुछ दूर ही मुख्य व्यापारिक मार्ग था , जो लाल समुद्र (Red Sea ) के किनारे यमन से सीरिया तक जाता था . और इसी मार्ग से काफिले अपना कीमती सामान लाते -लेजाते थे .मुहम्मद की जीवनी लिखने वाले प्रसिद्ध मुस्लिम इतिहासकार इब्ने इसहाक ( Ibn Ishaq/Hisham 428) पर लिखा है .कि अबूसुफ़यान ने रसूल को एक गुप्त सूचना दी , कि मदीना से करीब 80 मील दूर मुख्य मार्ग से काफिला गुजरने वाला है .जिसमे पचास हजार सोने की दीनार , और चांदी के दिरहम के साथ काफी कीमती सामान है .अबूसुफ़यान ने यह भी बताया कि उस काफिले में केवल तीस या चालीस लोग ही हैं .यह खबर मिलते ही रसूल ने अपने लोगों को आदेश दिया कि जल्दी जाओ और उस काफिले पर धावा बोल दो . और काफिले का जितना भी माल है सब लूट लो .मुहम्मद के आदेश से मुसलमानों ने मदीना से करीब 80 मील दूर "बद्र " नामकी जगह पर 13 मार्च शनिवार सन 624 तदानुसार 17 रमजान हिजरी सन 2 को उस काफिले पर धावा बोल दिया .मुसलमान इस लूट को" बद्र का युद्ध  Battle of Badr "या अरबी में "गजवा बद्र غزوة بدر "कहते हैं .इस लूट का कमांडर अबूसुफ़यान था . जिसके साथी अबूबकर ,उमर .अली ,हमजा ,मुसअब इब्न उमर ,जुबैर अल अब्बास , अम्मार इब्न यासिर और अबूजर अल गिफारी थे . यह लोग 70 ऊंट और दो घोड़े भी लाये थे .इनमे जादातर लोग मुहम्मद के रिश्तेदार थे . और सबने मिलकर काफिले की संपत्ति लुट ली . क्योंकि काफिले वाले कम थे .और मुहम्मद ने अल्लाह का डर दिखा कर वह सारा माल घर में भर लिया .जिसका नाम मुहम्मद ने "अनफाल " रख दिया .

3-कुरान में अनफाल

क्योंकि बद्र की इस लूट में मुहम्मद के कई रिश्तेदार शामिल थे , इसलिए वह भी अपना हिस्सा मांगने लगे . तब उनका मुंह बंद करने के लिए मुहम्मद ने आयत बना दी ,
" हे नबी जो लोग तुम से अनफाल के धन के बारे में सवाल ( आपत्ति ) करते हैं ,तो उनसे कह दो कि इस अनफाल के धन पर केवल रसूल का ही अधिकार है "
सूरा -अनफाल 8:1 ( अनफाल का अर्थ"Accession " होता है .यह ऐसी संपत्ति को कहते हैं ,जो दूसरों से छीन कर प्राप्त की गयी हो )
यह बात इन हदीसों से प्रमाणित होती है , कि मुहम्मद ने अकेले ही लूट का माल हथिया लिया था ,
"सईद बिन जुबैर ने इब्न अब्बास से पूछा कि कुरान की सूरा " अनफाल ( सूरा 8) किस लिए उतरी थी . तो वह बोले यह सूरा बद्र में लुटे गए माल को रसूल के लिए वैध ठहराने के लिए उतरी थी "बुखारी -जिल्द 6 किताब 60 हदीस 404
बुखारी -जिल्द 6 किताब 60 हदीस 168

4-लूट का माल रसूल के घर में

मुहम्मद ने पहले तो बद्र के लूट की दौलत अपने लिए वैध ठहरा दी और अपने परिवार में बाँट दी , जैसा इन हदीसों में कहा है ,
"अली ने कहा ,कि बद्र की लुट में मुझे जो दौलत और सोना मिला , उस से मैंने उसी दिन एक ऊंटनी खरीद ली . मैं फातिमा से शादी करना चाहता था .इस लिए मैंने लूट के सोने से " बनू कैनूना " के सुनार (Goldsmith ) से फातिमा के लिए जेवर बनवा लिए . और कुछ सोना सुनारों को बेच कर अपनी और फातिमा की शादी और दावत पर खर्च कर दिया .और अपने और फातिमा के लिए दो ऊंटनियाँ काठी (Saddles ) सहित खरीद लीं
.बुखारी -जिल्द 5 किताब59 हदीस 340

5-खैबर पर हमला

एकबार जब मुहम्मद को लूट से काफी दौलत मिल गयी तो लूट से दौलत कमाने का चस्का लग गया , और धन के साथ जमीन पर भी कब्ज़ा करने लगे ,मुहम्मद में ऐसा एक और हमला खैबर पर किया था .खैबर में फदक का बगीचा यहूदियों के पास था , जो कई पीढ़ियों से वहां के खजूर बेच कर ,पैसा कमा रहे थे , और दुसरे धंधे कर रहे थे . जब मुहम्मद को पता चला कि फदक के खजूरों को बेचकर यहूदी धनवान हो रहे हैं ,तो मुहम्मद ने 7 मई सन 629 को करीब 1500 जिहादी और 200 घुड़सवारों की फ़ौज बना कर खैबर पर हमला कर दिया .और यहूदियों को मार भगा दिया . और फदक के बागों पर कब्ज़ा कर लिया .यह घटना इब्न इसहाक ने मुहम्मद की जीवनी " सीरत रसूलल्लाह " में विस्तार में लिखी है .अरब के उत्तरी भाग में खैबर नामकी जगह में एक "नखलिस्तान (Oasis ) था . जहाँ पानी की प्रचुरता होने से खजूरों के बड़े बड़े बाग़ थे . इनका नाम "फदक فدك" था . यह बाग़ मदीना से करीब 30 मील दूर था .फदक के खजूर अच्छे होते थे और इनसे काफी आमदानी होती थी .खैबर की लूट में मुहमद ने यहूदियों से फदक के बाग़ के साथ 2000 कीमती यमनी कपड़ों की गाठें (Bales ) और 5000 कपड़ों के थान लूट लिये थे ,यहूदी यह सामान सीरिया भेजने वाले थे . इसके अलावा मुहम्मद ने फदक पास दो बाग़ " अल शिक्क الشِّق" और "अल कतीबाالكتيبة " पर भी कब्जा कर लिया था .और सबको अपनी संपत्ति घोषित कर दिया था .जब तक मुहम्मद जीवित रहे फदक बाग़ उनकी संपत्ति माने गए . उन्हीं की उपज से मुहम्मद अपने इतने बड़े परिवार का खर्चा चलाते रहे . खलीफा उमर इन बागों की कीमत पचास लाख दीनार आंकी थी .और जब फातिमा और अली अपने पुत्रों हसन और हुसैन के लिए अबू बकर से फदक के बागों से अपना हिस्सा मागने गयी थी , तो अबू बकर ने इंकार कर दिया था .शिया -सुन्नी विवाद का यह भी एक कारण है .

6-लुटेरे के घर डाका

मुहम्मद ने जिस दौलत और जमीन के लिए हजारों निर्दोष लोगों इस लिए को मार दिया था .कि इस दौलत से मेरे परिवार के लोग पीढ़ियों तक मजे से ऐश करते रहेंगे , लेकिन मुहम्मद को पता नहीं था कि उसकी मौत के बाद लूट की सम्पति उसका सगा ससुर एक डाकू की तरह हथिया लेगा ,और मुहम्मद की औरतों , और लड़की दामाद को अबू बकर ने एक फूटी कौड़ी नहीं दी थी ,जो इन हदीसों से पता चलता है ,
"आयशा ने कहा कि रसूल की मौत के बाद उनकी दूसरी पत्नियाँ रसूल की सम्पति में हिस्सा चाहती थी . इसके लिए उन्होंने उस्मान बिन अफ्फान को मेरे पिता अबू बकर के पास भेजा . तो मेरे पिता ने कहा " रसूल का कोई वारिस नहीं होता " मैंने तो रसूल की दौलत ग़रीबों में खैरात कर दी है "
सही मुस्लिम -किताब 19 हदीस 4351

अबू बकर ने कहा कि एकमात्र मैं ही रसूल की संपत्ति का संरक्षक हूँ . और जब अली और अब्बास अबू बकर से बद्र और "फदक" के बागों में हिस्सा मांगने आये तो . अबू बकर बोला अल्लाह की कसम खाता इनमे तुम्हारा कोई हिस्सा नहीं बनता ." सही मुस्लिम -किताब 19 हदीस 4349

"उरवा बिन जुबैर ने कहा कि , आयशा ने बताया , जब फातिमा और अली मेरे पिता अबू बकर के पास गए , और उन से बद्र और खबर की लूट का हिस्सा माँगा ,तो ,मेरे पिता ने कहा , मैं उस अल्लाह की कसम खाकर सच कहता हूँ जिसके हाथों में मेरी जान है .लूट की वह सारी दौलत इस्लामी राज्य की स्थापना में खर्च हो गयी . और रसूल की यही अंतिम इच्छा थी . यह सुन कर फातिमा और अली रुष्ट होकर घर लौट गए .
सही मुस्लिम -किताब 19 हदीस 4354

7-लूट का क्रूर तरीका
मुसलमान दावा करते हैं कि हमारे रसूल तो बड़े दयालु और रहमदिल थे , उन्होंने जिंदगी भर एक व्यक्ति की भी हत्या नहीं की थी . लेकिन सब जानते हैं लालच में अँधा व्यक्ति कुछ भी कर सकता है .मुहम्मद ने लूटों के दौरान हत्या का जो तरीका अपनाया था , उसे जानकर कटर से कठोर दिल वाले काँप जायेंगे मुहम्मद लोगों को जिन्दा दफना देता था , ताकि कोई सबूत्त बाकि नहीं रहे ,.
"अबू तल्हा ने कहा कि बद्र की लूट में रसूल ने सभी काफिले वालों बुरी तरह से मारा , जिस से कुछ तो अपनी जान बचा कर काफिले का सामान छोड़ कर भाग गए .लेकिन 24 लोग रसूल के हाथों पकडे गए .जो बुरी तरह से घायल थे . तब रसूल ने उन सभी को बद्र के एक सूखे और गहरे कुंएं में फिकवा दिया .और हमें वहीँ तीन दिन रात रुकने का हुक्म दिया . कहीं कोई कुंएं से जिन्दा न निकल सके . अबू तल्हा ने बताया की जब भी रसूल काफिले लूटते यही तरीका अपनाते थे .जिस से घायल काफिले वाले कुंएं में भूखे प्यासे मर जाते थे " बुखारी -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 314

8-मुहम्मद की धूर्तता

जिस तरह हर मुसलमान अपने अपराधों पर पर्दा डालने के लिए दूसरों पर आरोप लगा देता है , उसी तरह खुद को हत्या के अपराध से निर्दोष साबित करने के लिए मुहम्मद अल्लाह को ही जिम्मेदार बता देता था . जैसा कुरान में कहा है ,
" हे रसूल तुमने उनका क़त्ल नहीं किया , बल्कि अल्लाह ने उनको क़त्ल किया है . और तुमने उनको कुंएं में नहीं फेका ,बल्कि अल्लाह ने ही उनको कुएं में फेका है .सूरा -अनफाल 8: 17

9-निष्कर्ष

 इन सभी प्रमाणों से स्पष्ट होता है कि मुहम्मद एक महालोभी , क्रूर लुटेरा और ऐसा धूर्त था कि लोग उसके द्वारा की गयी हजारों हत्याओं का पता भी नहीं कर सकें . जब लाश ही नहीं मिलेगी तो लोग मुहम्मद को दयालु मान लेगे , इसके अतिरिक्त यह बात भी सिद्ध है कि मुहमद और अल्लाह एकही थैली के चट्टे बट्टे है . और अल्लाह भी मुहम्मद की मर्जी के मुताबिक आयतें बना देता था .
लेकिन इस अटल सत्य को हजारों अल्लाह मिल कर भी नहीं बदल सकते ,कि हरेक धूर्त का एक दिन "भंडाफोड़ " जरुर हो जाता है .मुहम्मद ने जैसे क्रूर कर्म किये थे वैसी ही कष्टदायी मौत मारा गया .
यदि धूर्तता सीखना हो तो रसूल से सीखो


http://www.answering-islam.org/Silas/rf1_mhd_wealth.htm

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