सत्यवादी
प्रस्तुति: डॉ0 संतोष राय
मनोविज्ञान के अनुसार किसी व्यक्ति का आचार ,व्यवहार ,और भाषा की शिष्टता
से उसके चरित्र का पता चल सकता है . और इन्ही के आधार पर उस व्यक्ति के
स्तर का मूल्यांकन किया जा सकता है .चूँकि सभी मुसलमान मुहम्मद साहब के
चरित्र को अपना आदर्श मानते हैं . इसलिए उनमे भी मुहम्मद साहब के चरित्र के
कुछ न कुछ गुण जरुर पाए जाते हैं .क्योंकि कुरान में भी मुसलमानों को आदेश
दिया गया है कि वह रसूल के उत्तम चरित्र को अपना आदर्श बनायें . कुरान में
लिखा है .
निश्चय ही तुम लोगों ( मुसलमानों ) के लिए रसूल का आदर्श उत्तम है " सूरा -अहजाब 33 :21
हे नबी बेशक तुम उत्तम चरित्र वाले हो " सूरा -कलम 68 :4
1-आदर्श गंदगी
यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि जिस व्यक्ति का शरीर जितना गन्दा होगा , उसके विचार और भाषा भी उतनी ही गन्दी होगी .मुहम्मद साहब कितने साफ रहते थे , यह इन प्रमाणिक हदीसों से पता चलता है ,
काब बिन उजारा ने कहा कि हुदैबिया की लड़ाई के समय मेरे सिर के जुएँ मेरे चहरे पर टपक रहे थे . जिस से मुझे दिक्कत हो रही थी . तब रसूल ने कहा या तो तुम छः लोगों को खाना खिलाओ ,या एक भेड़ की क़ुरबानी करो . इस से जुएँ नहीं काटेंगे
" बुखारी - जिल्द 5 किताब 59 हदीस 503
आयशा ने कहा कि रसूल के सहाबा इतने गंदे थे कि उनके शरीर से दुर्गन्ध निकलती रहती थी . मैं उनको नहाने के लिए टोकती रहती थी .
बुखारी -जिल्द 3 किताब 34 हदीस 285
मैमूना ने कहा ,कि सहवास करने के बाद रसूल अपने गुप्तांग पर लगा हुआ वीर्य अपने हाथों में लगा लेते थे . फिर उन्हीं हाथों को घर की दीवार से रगड़ कर साफ कर लेते थे .और फिर सिर्फ पैरों का वजू करके नमाज के लिए चले जाते थे " बुखारी -जिल्द 1 किताब 5 हदीस 260
आयशा ने कहा कि जब रसूल जिस पानी से नहा चुकते थे . या कुल्ली कर के उगल देते थे , तो सहाबी उस पानी को इकठ्ठा कर लेते थे . फिर रसूल वाही पानी गिलास में भर कर लोगों को पिला देते थे " बुखारी -जिल्द 1 किताब 1 हदीस 187
2-रसूल तंत्र मन्त्र
वैसे तो कुरान में झाडफूंक , टोने टोटके , और तंत्र मन्त्र करने वालों की निंदा की गयी है .जैसा कि इस आयत में लिखा है
"मैं पनाह मांगता हूँ गंडे बांधने वालों . और झाड़ फूंक करने वाले लोगों की चालों से "
सूरा फलक 113 :5
लेकिन खुद मुहम्मद साहब लोगों से अपना इलाज करने के लिए झाड़फूंक का सहारा लेने की सलाह दिया करते थे .यह बात इन हदीसों से सिद्ध होती है ,
अगर तुम बीमार हो जाओ तो . सूरा इखलास (112 ) सूरा फलक (113 ) और सूरा नास (114 ) पढ़कर अपनी हथेलियों पर फूँको फिर हाथ अपने चहरे पर मलो .बुखारी - जिल्द 7 किताब 71 हदीस 664 और 667
अगर किसी व्यक्ति को कहीं घाव हो जाये तो सूरा फातिहा पढ़ कर घाव की जगह थूक दो .अबू दाऊद- जिल्द 3 किताब 28 हदीस 3888
पागल व्यक्ति को ठीक करने के लिए उसे सूरा फातिहा पढाओ .अबू दाउद-जिल्द 3 किताब 28 हदीस 3892
3-रसूल की आदर्श गप्पें
लगता है कि इस्लाम ने दूसरे धर्मों के साथ विज्ञानं के खिलाफ भी जिहाद छेड़ रखी है .क्योंकि हदीसों में ऐसी ऐसी असंभव बातें लिखी हैं ,जिनपर सिर्फ वही लोग विश्वास कर सकते हैं ,जिनकी बुद्धि नष्ट हो गयी है , जैसे यह हदीसें देखिये ,
रसूल अपने कपड़ों में कुछ बरसाती बादलों को रख लेते थे . और फिर जब चाहते थे उन बादलों से इतनी बरसात कर देते थे कि जिस से मक्का शहर की गलियां भर जाती थी . रसूल कहते थे यह बादल अल्लाह भेज देता है . अबू दाऊद- जिल्द 3 किताब 31 हदीस 5081
अनस ने कहा कि रसूल को रास्ते में एक खजूर का पेड़ मिला .जो दर्द से इस तरह कराह रहा था , जैसे गर्भवती ऊंटनी कराहती है . और जब रसूल ने उस पेड़ पर हाथ फिराया तो उसका दर्द ख़त्म हो गया . और पेड़ शांत हो गया .बुखारी -जिल्द 4 किताब 56 हदीस 783 , 784 और 785
अनस ने कहा कि एक बार जब रस्ते में कहीं पानी नहीं था , और जिहादी प्यासे मर रहे थे . तो रसूल ने अपनी उँगलियों से इतना पानी निकाल दिया कि जिस से 1500 लोगों की प्यास बुझ गयी . बुखारी -जिल्द 4 किताब 56 हदीस 776
नोट- लगता है कि यह हदीस बाइबिल के नए नियम की पुस्तक "मरकुस अध्याय 6 आयत 39 से 44 तक की एक कहानी से चुरायी गयी है . जिसमे ईसा मसीह के चमत्कार का वर्णन है . इस कहानी के अनुसार ईसा मसीह ने सिर्फ पांच रोटियों और दो मछलियों से पांच हजार लोगों को भोजन करा दिया था . फिर भी खाने के बाद बारह टोकरियाँ रोटियां और मछलियाँ बच गए थे .बुखारी गप्पियों का उस्ताद होगा .
4-रसूल के झूठे चमत्कार
मुहम्मद साहब के चमत्कारों के बारे में हदीसें भरी पड़ी है . लेकिन मुहम्मद साहब की जीवनी में भी ऐसी ही असंभव बातें दी गयी हैं . जिन पर कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति विश्वास नहीं करेगा . ऐसी ही एक किताब "अश शिफा " है . जिसे " काजी इलयाद " ने हिजरी 544 यानि ईसवी 1149 में लिखा था .इस किताब का पूरा नाम " किताब अश शिफा बितारीफे हुकूके मुस्तफा كتاب الشفاء بتعريف حقوق المصطفى" है .इस किताब में मुहम्मद की पेशाब , थुक, और उनके नहाने के बाद बचे हुए गंदे पानी से इलाज करने की विधियाँ दी गयी हैं .मुल्लों का दावा है कि इस किताब को घर में रखने , और पढ़ने से कोई बीमारी नहीं होती .इसीलिए इस किताब को हदीस की तरह प्रमाणिक माना जाता है .
रसूल ने एक ऐसी मादा भेड़ थनों पर हाथ लगाया , जिसका इसके पहले किसी नर भेड़ से संसर्ग नहीं हुआ था .लेकिन रसूल के हाथ लगते ही वह दूध देने लगी
अश शिफा - पेज 185 -186
एक बार जब रसूल मीना की पहाड़ी पर खड़े हुए थे . तो उन्होंने अपनी उंगली से चाँद के दो टुकडे कर दिए . एक टुकड़ा पहाड़ी की एक तरफ गिरा , और दूसरा टुकड़ा दूसरी तरफ गिर गया .मुस्लिम - किताब 39 हदीस 6725 , 6726 , और 6728
नोट - लगता है कि मुहम्मद साहब फुरसत के समय मूर्ख जिहादियों पर अपना प्रभाव डालने के लिए गप्पें मारते रहते थे . वर्ना ऐसी असंभव बातों पर केवल वही विश्वास कर सकता है ,जिसकी अक्ल का दिवाला निकल गया हो .क्योंकि इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार चन्द्रमा का आकार पृथ्वी से एक तिहाई से भी कम है .(The Moon] is less than one-third the size of Earth (radius about 1,738 कि मी )फिर भी यदि आधा चन्द्रमा टूट कर अरब पर गिर गया होता तो मक्का मदीना के साथ कई अरब देश मिट गए होते .
5-रसूल की आदर्श चिकित्सा विधि
रसूल ने कहा कि जेहादियों के घोड़ों की लीद और पेशाब भी पवित्र होते हैं .और दवा हैं .बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 105
रसूल ने काहा है कि ऊंटों की पेशाब भी दवा है . जिसके पीने से कई बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं .बुखारी -जिल्द 7 किताब 71 हदीस 589 .590 और 623 . और इब्न माजा - किताब 5 हदीस 3503
रसूल का मूत्र भी पेट दर्द की अचूक दवा है .एक औरत के पेट में दर्द हुआ , तो रसूल ने उसे अपना मूत्र पिलाकर कहा . अब भविष्य में तुम्हारे पेट में दर्द कभी नहीं होगा . लेकिन मेरे मूत्र को कुल्ला करके साफ नहीं करना . अश शिफा .पेज -36
6-रसूल की आदर्श गालियाँ
शायद बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि गन्दी गन्दी और अश्लील गालियाँ इस्लाम की सौगात है . जो अरब से से निकल कर ईरान होते हुए भारत में आई है .इसका सबूत इस हदीस से मिलता है क्योंकि मुहम्मद साहब ऐसी ही गन्दी भद्दी गालियाँ दिया करते थे . जिसका एक नमूना यहाँ दिया गया है .शायद यही कारण है कि मुसलमान बात बात पर माँ बहिन की गालियाँ दिया करते हैं (Mohammad who started the Vulgar language according Mishkawt Sharif in Urdu Volume 2, verse 4683, so Muslims are really following the same style.)
उबैय बिन काअब ने बयान किया कि रसूल अल्लाह ने कहा है . जो शख्श इस्लाम को छोड़ कर खुद को फिर से उसी जाहलियत के दीन से मंसूब करे , तो उसके बाप का शर्मगाह (Penis ) उसके मुंह में घुसेड दो .और इसमें कोई हीला ( देरी ) न करो " मिश्कात शरीफ - जिल्द 2 हदीस 4683 पेज 441 ( उर्दू अनुवाद )
Vulgar Language of Muslims. by Rev. Dr. Samie Samson
http://www.youtube.com/watch?v=PgP74bWmm5I
इन हदीसों का अध्यन करने और इन प्रमाणों को देखने के बाद यह बात स्पष्ट रूप से सिद्ध हो जाती है कि ऐसे रसूल को अपना आदर्श मानकर उनका अनुसरण करने से ही मुसलमान इतने अन्धस्विश्वासी, उग्र , हिंसक ,बात बात पर फसाद करने वाले क्यों बन गए हैं, हमारे सामने एक ताजा उदहारण है , जब एक अमेरिकन फिल्म " Innocence of muslims" को पूरी तरह से देखे बिना ही मुसलमानों ने दुनियां भर में उत्पात मचा दिया था . यहाँ तक बंगलादेश के कई बौद्ध मंदिरों को तोड़ दिया था .यदि मुसलमान सचमुच ही मुहम्मद साहब को एक आदर्श व्यक्ति सिद्ध करना चाहते हैं ,तो उनको चाहिए कि वह सबसे पहले उन हदीसों की किताबों को नष्ट कर दें , जिनमे मुहम्मद साहब के बारे में ऐसी अशिष्ट बातें लिखी हुई हैं .उनको पता होना चाहिए कि मुहम्मद साहब के बारे में , बिना सबूत के न तो कोई व्यक्ति कुछ लिख सकता है . और न कोई फिल्म बना सकता है .सत्य को झुठलाने से कोई फायदा नहीं होगा .
http://islam-watch.org/AbulKasem/IslamicVoodoos/
निश्चय ही तुम लोगों ( मुसलमानों ) के लिए रसूल का आदर्श उत्तम है " सूरा -अहजाब 33 :21
हे नबी बेशक तुम उत्तम चरित्र वाले हो " सूरा -कलम 68 :4
1-आदर्श गंदगी
यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि जिस व्यक्ति का शरीर जितना गन्दा होगा , उसके विचार और भाषा भी उतनी ही गन्दी होगी .मुहम्मद साहब कितने साफ रहते थे , यह इन प्रमाणिक हदीसों से पता चलता है ,
काब बिन उजारा ने कहा कि हुदैबिया की लड़ाई के समय मेरे सिर के जुएँ मेरे चहरे पर टपक रहे थे . जिस से मुझे दिक्कत हो रही थी . तब रसूल ने कहा या तो तुम छः लोगों को खाना खिलाओ ,या एक भेड़ की क़ुरबानी करो . इस से जुएँ नहीं काटेंगे
" बुखारी - जिल्द 5 किताब 59 हदीस 503
आयशा ने कहा कि रसूल के सहाबा इतने गंदे थे कि उनके शरीर से दुर्गन्ध निकलती रहती थी . मैं उनको नहाने के लिए टोकती रहती थी .
बुखारी -जिल्द 3 किताब 34 हदीस 285
मैमूना ने कहा ,कि सहवास करने के बाद रसूल अपने गुप्तांग पर लगा हुआ वीर्य अपने हाथों में लगा लेते थे . फिर उन्हीं हाथों को घर की दीवार से रगड़ कर साफ कर लेते थे .और फिर सिर्फ पैरों का वजू करके नमाज के लिए चले जाते थे " बुखारी -जिल्द 1 किताब 5 हदीस 260
आयशा ने कहा कि जब रसूल जिस पानी से नहा चुकते थे . या कुल्ली कर के उगल देते थे , तो सहाबी उस पानी को इकठ्ठा कर लेते थे . फिर रसूल वाही पानी गिलास में भर कर लोगों को पिला देते थे " बुखारी -जिल्द 1 किताब 1 हदीस 187
2-रसूल तंत्र मन्त्र
वैसे तो कुरान में झाडफूंक , टोने टोटके , और तंत्र मन्त्र करने वालों की निंदा की गयी है .जैसा कि इस आयत में लिखा है
"मैं पनाह मांगता हूँ गंडे बांधने वालों . और झाड़ फूंक करने वाले लोगों की चालों से "
सूरा फलक 113 :5
लेकिन खुद मुहम्मद साहब लोगों से अपना इलाज करने के लिए झाड़फूंक का सहारा लेने की सलाह दिया करते थे .यह बात इन हदीसों से सिद्ध होती है ,
अगर तुम बीमार हो जाओ तो . सूरा इखलास (112 ) सूरा फलक (113 ) और सूरा नास (114 ) पढ़कर अपनी हथेलियों पर फूँको फिर हाथ अपने चहरे पर मलो .बुखारी - जिल्द 7 किताब 71 हदीस 664 और 667
अगर किसी व्यक्ति को कहीं घाव हो जाये तो सूरा फातिहा पढ़ कर घाव की जगह थूक दो .अबू दाऊद- जिल्द 3 किताब 28 हदीस 3888
पागल व्यक्ति को ठीक करने के लिए उसे सूरा फातिहा पढाओ .अबू दाउद-जिल्द 3 किताब 28 हदीस 3892
3-रसूल की आदर्श गप्पें
लगता है कि इस्लाम ने दूसरे धर्मों के साथ विज्ञानं के खिलाफ भी जिहाद छेड़ रखी है .क्योंकि हदीसों में ऐसी ऐसी असंभव बातें लिखी हैं ,जिनपर सिर्फ वही लोग विश्वास कर सकते हैं ,जिनकी बुद्धि नष्ट हो गयी है , जैसे यह हदीसें देखिये ,
रसूल अपने कपड़ों में कुछ बरसाती बादलों को रख लेते थे . और फिर जब चाहते थे उन बादलों से इतनी बरसात कर देते थे कि जिस से मक्का शहर की गलियां भर जाती थी . रसूल कहते थे यह बादल अल्लाह भेज देता है . अबू दाऊद- जिल्द 3 किताब 31 हदीस 5081
अनस ने कहा कि रसूल को रास्ते में एक खजूर का पेड़ मिला .जो दर्द से इस तरह कराह रहा था , जैसे गर्भवती ऊंटनी कराहती है . और जब रसूल ने उस पेड़ पर हाथ फिराया तो उसका दर्द ख़त्म हो गया . और पेड़ शांत हो गया .बुखारी -जिल्द 4 किताब 56 हदीस 783 , 784 और 785
अनस ने कहा कि एक बार जब रस्ते में कहीं पानी नहीं था , और जिहादी प्यासे मर रहे थे . तो रसूल ने अपनी उँगलियों से इतना पानी निकाल दिया कि जिस से 1500 लोगों की प्यास बुझ गयी . बुखारी -जिल्द 4 किताब 56 हदीस 776
नोट- लगता है कि यह हदीस बाइबिल के नए नियम की पुस्तक "मरकुस अध्याय 6 आयत 39 से 44 तक की एक कहानी से चुरायी गयी है . जिसमे ईसा मसीह के चमत्कार का वर्णन है . इस कहानी के अनुसार ईसा मसीह ने सिर्फ पांच रोटियों और दो मछलियों से पांच हजार लोगों को भोजन करा दिया था . फिर भी खाने के बाद बारह टोकरियाँ रोटियां और मछलियाँ बच गए थे .बुखारी गप्पियों का उस्ताद होगा .
4-रसूल के झूठे चमत्कार
मुहम्मद साहब के चमत्कारों के बारे में हदीसें भरी पड़ी है . लेकिन मुहम्मद साहब की जीवनी में भी ऐसी ही असंभव बातें दी गयी हैं . जिन पर कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति विश्वास नहीं करेगा . ऐसी ही एक किताब "अश शिफा " है . जिसे " काजी इलयाद " ने हिजरी 544 यानि ईसवी 1149 में लिखा था .इस किताब का पूरा नाम " किताब अश शिफा बितारीफे हुकूके मुस्तफा كتاب الشفاء بتعريف حقوق المصطفى" है .इस किताब में मुहम्मद की पेशाब , थुक, और उनके नहाने के बाद बचे हुए गंदे पानी से इलाज करने की विधियाँ दी गयी हैं .मुल्लों का दावा है कि इस किताब को घर में रखने , और पढ़ने से कोई बीमारी नहीं होती .इसीलिए इस किताब को हदीस की तरह प्रमाणिक माना जाता है .
रसूल ने एक ऐसी मादा भेड़ थनों पर हाथ लगाया , जिसका इसके पहले किसी नर भेड़ से संसर्ग नहीं हुआ था .लेकिन रसूल के हाथ लगते ही वह दूध देने लगी
अश शिफा - पेज 185 -186
एक बार जब रसूल मीना की पहाड़ी पर खड़े हुए थे . तो उन्होंने अपनी उंगली से चाँद के दो टुकडे कर दिए . एक टुकड़ा पहाड़ी की एक तरफ गिरा , और दूसरा टुकड़ा दूसरी तरफ गिर गया .मुस्लिम - किताब 39 हदीस 6725 , 6726 , और 6728
नोट - लगता है कि मुहम्मद साहब फुरसत के समय मूर्ख जिहादियों पर अपना प्रभाव डालने के लिए गप्पें मारते रहते थे . वर्ना ऐसी असंभव बातों पर केवल वही विश्वास कर सकता है ,जिसकी अक्ल का दिवाला निकल गया हो .क्योंकि इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार चन्द्रमा का आकार पृथ्वी से एक तिहाई से भी कम है .(The Moon] is less than one-third the size of Earth (radius about 1,738 कि मी )फिर भी यदि आधा चन्द्रमा टूट कर अरब पर गिर गया होता तो मक्का मदीना के साथ कई अरब देश मिट गए होते .
5-रसूल की आदर्श चिकित्सा विधि
रसूल ने कहा कि जेहादियों के घोड़ों की लीद और पेशाब भी पवित्र होते हैं .और दवा हैं .बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 105
रसूल ने काहा है कि ऊंटों की पेशाब भी दवा है . जिसके पीने से कई बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं .बुखारी -जिल्द 7 किताब 71 हदीस 589 .590 और 623 . और इब्न माजा - किताब 5 हदीस 3503
रसूल का मूत्र भी पेट दर्द की अचूक दवा है .एक औरत के पेट में दर्द हुआ , तो रसूल ने उसे अपना मूत्र पिलाकर कहा . अब भविष्य में तुम्हारे पेट में दर्द कभी नहीं होगा . लेकिन मेरे मूत्र को कुल्ला करके साफ नहीं करना . अश शिफा .पेज -36
6-रसूल की आदर्श गालियाँ
शायद बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि गन्दी गन्दी और अश्लील गालियाँ इस्लाम की सौगात है . जो अरब से से निकल कर ईरान होते हुए भारत में आई है .इसका सबूत इस हदीस से मिलता है क्योंकि मुहम्मद साहब ऐसी ही गन्दी भद्दी गालियाँ दिया करते थे . जिसका एक नमूना यहाँ दिया गया है .शायद यही कारण है कि मुसलमान बात बात पर माँ बहिन की गालियाँ दिया करते हैं (Mohammad who started the Vulgar language according Mishkawt Sharif in Urdu Volume 2, verse 4683, so Muslims are really following the same style.)
उबैय बिन काअब ने बयान किया कि रसूल अल्लाह ने कहा है . जो शख्श इस्लाम को छोड़ कर खुद को फिर से उसी जाहलियत के दीन से मंसूब करे , तो उसके बाप का शर्मगाह (Penis ) उसके मुंह में घुसेड दो .और इसमें कोई हीला ( देरी ) न करो " मिश्कात शरीफ - जिल्द 2 हदीस 4683 पेज 441 ( उर्दू अनुवाद )
Vulgar Language of Muslims. by Rev. Dr. Samie Samson
http://www.youtube.com/watch?v=PgP74bWmm5I
इन हदीसों का अध्यन करने और इन प्रमाणों को देखने के बाद यह बात स्पष्ट रूप से सिद्ध हो जाती है कि ऐसे रसूल को अपना आदर्श मानकर उनका अनुसरण करने से ही मुसलमान इतने अन्धस्विश्वासी, उग्र , हिंसक ,बात बात पर फसाद करने वाले क्यों बन गए हैं, हमारे सामने एक ताजा उदहारण है , जब एक अमेरिकन फिल्म " Innocence of muslims" को पूरी तरह से देखे बिना ही मुसलमानों ने दुनियां भर में उत्पात मचा दिया था . यहाँ तक बंगलादेश के कई बौद्ध मंदिरों को तोड़ दिया था .यदि मुसलमान सचमुच ही मुहम्मद साहब को एक आदर्श व्यक्ति सिद्ध करना चाहते हैं ,तो उनको चाहिए कि वह सबसे पहले उन हदीसों की किताबों को नष्ट कर दें , जिनमे मुहम्मद साहब के बारे में ऐसी अशिष्ट बातें लिखी हुई हैं .उनको पता होना चाहिए कि मुहम्मद साहब के बारे में , बिना सबूत के न तो कोई व्यक्ति कुछ लिख सकता है . और न कोई फिल्म बना सकता है .सत्य को झुठलाने से कोई फायदा नहीं होगा .
http://islam-watch.org/AbulKasem/IslamicVoodoos/
साभार:
http://bhaandafodu.blogspot.in/2012/10/blog-post.html
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