विश्व हिन्दू
परिषद का काला कारनामा
उजागर हुआ
डॉ0 राकेश रंजन सिंह
नई दिल्ली क्षेत्र में अनगिनत अवैध मजार, मस्जिदें एवं मदरसें कार्यरत हैं जो कि सरकारी
जमींन पर अतिक्रमण करके बनाये गये हैं, जिनके
कारण पद यात्रियों को एवं व्यस्त समय में ट्रैफिक को कई प्रकार की असुविधाओं का
सामना करना पड़ता है। सरकार एवं सत्ता में बैठे लोगों को यह नहीं खटकता, क्योंकि यह भारत के तथाकथित प्रथम अधिकार प्राप्त
मजहबी संगठनों की अवैध संपत्ति है। इस क्षेत्र से अधिकांश प्राचीन मंदिर हिन्दू
विरोधी सरकार द्वारा नष्ट कर दिये गये हैं। हिंदू मंदिरों के प्रति विद्वेष की
श्रृंखला का यहीं अंत नहीं है, इस कड़ी
में सरकार का नया शिकार केनिंग रोड स्थित प्राचीन राधा कृष्ण मंदिर बना।
इस प्राचीन मंदिर के बहुमूल्य भूखण्ड पर सरकारी संरक्षण
प्राप्त भू माफियाओं की कुदृष्टि कुछ समय से थी। इन लोगों ने इस प्राचीन मंदिर के
महंत, पुरोहित एवं साधु-संतों को किनारे करते हुये एक
अवैध ट्रस्ट बना कर रजिस्टर्ड करा लिया जिसके माध्यम से मंदिर के भूखण्ड एवं
संपत्ति का मोल-भाव प्रारंभ किया गया। ऊंची पहुंच वाले दबंग लोगों के द्वारा गठित
इस ट्रस्ट को विश्व हिन्दू परिषद का बरदहस्त प्राप्त है।
इन लोगों ने महंत एवं अखाड़ों के विरोध के बाद भी मंदिर का
भूखण्ड एक डील के तहत व्यवसायिक उपयोग के लिये पुलिस एवं प्रशासन के भारी उपस्थिति
में बल एवं छल पूर्वक लेकर उसका विध्वंस कर दिया गया। मंदिर के विध्वंस की पूरी
प्रक्रिया पूर्ण रूपेण अवैधानिक थी एवं इसमें अनेंक प्रकार की न्यायिक विसंगतियों
के बाद भी पुलिस एवं प्रशासन ने अपने अधिकारों के दुरूपयोग का नग्न प्रदर्शन किया।
दृष्टव्य हो कि यह प्राचीन राधा कृष्ण मंदिर नई दिल्ली के
निर्माण से पूर्व का है एवं महंतों के संरक्षण में इस मंदिर का कार्य अखाड़ों के
नियंत्रण में था। नई दिल्ली के निर्माण काल में तत्कालीन अंग्रेज शासकों ने भी इस
मंदिर को यथारूप में रहने दिया था। परन्तु औरंगजेबी शासन काल में होने वाले मंदिर
विध्वंश की याद दिलाने वाला यह कुचक्र वर्तमान काल में इस मंदिर को ध्वस्त कर एक
बार पुनः दुहरा दिया गया।
मंदिर विध्वंश के संदर्भ में महंत एवं पुजारियों को पूर्णतः
अंधकार में रखते हुये किसी प्रकार की न्यायिक अधिसूचना नहीं दी गयी अचानक मंदिर के
महंतों को अवैध ट्रस्ट द्वारा किसी डील की बात पता चली पर किसी प्रकार का दस्तावेज
नही दिया गया। गत शुक्रवार 11 मई, 2012 के अर्धरात्रि के बाद पांच सौ से अधिक पुलिस बल
द्वारा मंदिर और उसके आस-पास के क्षेत्र की बैरीकेटिंग कर दी गयी और 12 मई शनिवार को प्रातः साढ़े पांच बजे से मंदिर
विध्वंश का नग्न ताण्डव प्रारंभ हो गया।
अखिल भारत हिन्दू महासभा सरकार एवं पुलिस द्वारा की गई इस
कार्रवाई का मुखर विरोध करती है तथा इस प्रकार के हिन्दू द्रोही कृत्य की घोर
निंदा करती है। अखिल भारत हिन्दू महासभा इस विषय पर न्यायालय में जनहित याचिका के
माध्यम से न्याय हेतु संघर्ष करने का संकल्प लेती है।
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