डॉ0 संतोष राय
वर्तमान राष्ट्रपति
के चुनाव को जब दूरदर्शिता के
परिप्रेक्ष्य में देखा जाता है तो हमें पता चलता है
कि हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान परोक्ष रूप से
इस चुनाव के अंदर अपने खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने के लिये एक महत्वपूर्ण
भूमिका निभा रहा है। सतही तौर पर तो भारत की राजनीतिक पार्टियां राष्ट्रपति के
चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाती दृष्टिगोचर होती हैं मगर कठपुतलियों के नाच की तरह
इन भारतीय राजनीतिक पार्टियों का डोर पाकिस्तान के शासकों के द्वारा संचालित रहता है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के चुनाव में पाकिस्तान
के तथाकथित आईएसआई के एजेंट शाही ईमाम के फतवे पर मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी के
अखिलेश यादव को भारी बहुमत से भारत के सबसे बड़े प्रांत का मुख्यमंत्री बना दिया। ज्ञात रहे कि कुछ
वर्ष पहले मुलायम सिंह यादव की पाकिस्तान के शासकों के साथ टेलीफोन पर हो रही
राष्ट्र विरोधी गुफ्तगू को भारत की इंटेलीजेन्स ब्यूरो के संयुक्त निर्देशक नें
मीडिया के द्वारा उजागर किया था।
डॉ0
ए.पी.जे. अब्दुल कलॉम को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी जी नें ऑपरेशन
पराक्रम के दौरान कुछ गंभीर राष्ट्र विरोधी आरोपों के मद्देनजर प्रिंसिपल
साइंटीफिक एडवायिजर के पद से बर्खास्त किया था। मगर बाद में अल्पसंख्यक तुष्टीकरण
की नीति के तहत डॉ0 मुरली मनोहर जोशी जो कि मुलायम सिंह यादव के
घनिष्ठ मित्र थे, के कहने पर राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित कर दिया।
हमारे देश का भावी प्रधानमंत्री भी आईएसआई के एजेंट शाही ईमाम के फतवे पर मुस्लिम
वोट बैंक के समर्थन से मुलायम सिंह का 2014 के चुनाव में चुने
जाना कोई अजूबा नही होगा। कुल मिलाकर भारत के तीन सर्वोच्च पदों यानिकि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री
और उप राष्ट्रपति पर पाकिस्तान की कठपुतलियां ही आसीन नजर आयेंगी। दूसरे शब्दों
में भारत का संचालन रिमोट कंट्रोल के द्वारा पाकिस्तान के शासक ही करेंगे। जबकि
भारत की मुख्य राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस और भाजपा के नेता अपनी-अपनी भ्रष्टाचार
की कमाई को देशी-विदेशी बैंकों में जमा करवाकर हर्षित होते रहेंगे।
इस खतरनाक खेल को
भारतीय राजनीतिक पार्टियां जानते हुये भी पैसे के लालच में नजरअंदाज कर रही हैं।
बेहतर है कि भाजपा और कांग्रेस प्रणव मुखर्जी और जसवंत सिंह को क्रमशः राष्ट्रपति
और उपराष्ट्रपति के पद पर नियुक्त करके देशद्रोही कलाम और हामिद अंसारी जैसे
प्रत्याशियों से देश को निजात दिलायें। इन दोनों पार्टियों का आपस में समझौता
पाकिस्तान के खतरनाक मंसूबों पर पानी फेर देगा।
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