Tuesday, April 19, 2016

हिन्दू महासभा के संघ से मतभेद लेकिन मनभेद नहीं

राष्ट्रीय राजधानी इन्द्रप्रस्थ(नई दिल्ली)। हिंदुत्व एवं राष्ट्रवाद के विषय पर हिन्दू महासभा एवं संघ की विचारधारा में छत्तीस का आंकड़ा है लेकिन जो लोग संघ की तुलना ISIS से करते हैं या संघ मुक्त भारत की बात करते हैं तो हिन्दू महासभा उनके साथ बिलकुल नही है ।



यह बात जानना भी आवश्यक है की संघ की स्थापना में हिन्दू महासभा का बहुत बड़ा योगदान था और संघ के संस्थापक डॉ केशवराम बलिराम हेडगेवार कांग्रेस के सदस्य थे औरे उन्होंने कांग्रेस की मुस्लिम तुष्‍टीकरण  की नीतियों से तंग आकर कांग्रेस को छोड़कर संघ की स्थापना की और साथ ही साथ हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय  उपाध्यक्ष भी बने तथा संघ के स्वयंसेवक हिन्दू महासभा की भी गतिविधियों में हिस्सा लेते थे ।
संघ एवं हिन्दू महासभा के सम्बन्ध डॉ हेडगेवार की मृत्यु के पश्चात बिगड़ते चले गए और उसका श्रेय संघ के दूसरे सर-संघचालक गुरु गोलवलकर जी को जाता है, क्योंकि वो हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय कार्यालय मंत्री का पद पाने के लिए जी तोड़ संघर्ष कर रहे थे तो वह उस पद के चुनाव को हार गए, इस हार को गुरूजी पचा नही पाए और संघ को इन्होने हिन्दू महासभा एवं इसकी गतिविधियों से अलग रखना शुरू कर दिया ।

यहाँ तक की विभाजन से पहले हुए केन्द्रीय सभा के चुनावों में गुरु जी ने हिन्दू महासभा को हराने के लिए संघ के स्वयंसेवकों को आदेश दिया की चुनावों में कांग्रेस का साथ दें, ऐसा होने पर हिन्दू राष्ट्र एवं अखण्ड भारत की प्रबल समर्थक हिन्दू महासभा को काफी नुकसान हुआ कांग्रेस और मुस्लिम लीग को काफी फ़ायदा मिला तथा परिणाम स्वरुप पाकिस्तान का निर्माण हिन्दुओं की ही लाशों पर हुआ ।

समय-समय पर संघ को गांधीवादी समर्थन देते रहे लेकिन गांधीवादी लोग उस समय भी वीर सावरकर और हिन्दू महासभा को गाली भी देते रहे और आज भी गांधीवादी लोग वीर सावरकर को गाली देते हैं, लेकिन सन 1950 में संघ ने एक दूसरी कांग्रेस बनाई जिसका नाम रखा जनसंघ और यह पार्टी कांग्रेस की ही फोटोकॉपी बनी ।
संघ की शाखाओं में गाया जाने वाला राष्ट्रवादी गीत "नमस्ते सदा वत्सले" वीर सावरकर के बड़े भ्राता गणेश सावरकर ने ही लिख था ।

अब कुछ दिनों से चलन हो चला की कभी संघ की तुलना कभी ISIS से की जाती है तो कभी संघमुक्त भारत के नारे को भी बोलते हैं  जो लोग ऐसा कह रहे हैं वो लोग कभी ISIS मुक्त भारत या आतंकवाद मुक्त भारत की बात नही करेंगे ।

न जाने कितने स्वयं सेवक कम्युनिस्‍ट  पार्टी एवं मुस्लिम लीग के द्वारा आये दिन मारे जाते हैं और ऐसा नही है की हिन्दू महासभा ऐसी हत्याओं का खण्डन नही करती जबकी प्रतिक्रिया भी देती है लेकिन हिन्दू महासभा की भी यही अपेक्षा रहती है की ठीक है यदि संघ राजनितिक रूप से हिन्दू महासभा के साथ न खड़ा हो कम से कम हिंदुत्व एवं राष्ट्रवाद के विषयों पर तो हमारा साथ दे ।  माना की हम लोगों के संघ से राजनितिक मतभेद हैं लेकिन मनभेद तो न रखें या उदासीनता न रखें ।

हम लोगों का मतभेद संघ की विचारधारा से नही है अपितु उसमे बैठे लोगों की संघ से इतर विचारधारा से है जो हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु मेल नही खाती ।

पुत्र कितना भी कुपुत्र क्यों न हो जाये लेकिन यदि पुत्र पर कोई अन्य बाहरी व्यक्ति हमला करता है तो धर्म यही कहता है की पुत्र जो की अब कुपुत्र है उसका साथ दिया जाए शायद उसमे परिवर्तन आ जाय चाहे वो मतभेद भी रखे ।

लेकिन हिन्दू महासभा को राजनीति में शून्य करने के कई कारक हैं और उसके लिए हम भी जिम्मेदार हैं क्योंकि हमारे पुर्व के कई सम्मानित नेता भी उदासीन रहे राजनिति को लेकर ।

आज के परिदृश्य में हिन्दू महासभा की जो स्थिति है उस पर बोलना उचित नही है लेकिन इतना अवश्य कहूँगा की यदि मैंने थोडा बहुत भी माँ भवानी की पूजा की है तो माँ भवानी की कृपा से हिन्दू महासभा ही इस राष्ट्र का भविष्य होगा ।  हम हिन्दू महासभाई दृढ संकल्प के साथ मतभेद/मनभेद को भुलाकर संगठन को राजनीति में विकल्प के रूप में खडा करें ।  बात रही संघ के लोगों की तो वे हमारा कभी साथ नही देंगे लेकिन हम कभी भी धर्म, राष्ट्र एवं हिंदुत्व के विषय पर उन शक्तियों का साथ नही देंगे जो लोग हमारे भी विरोधी हैं ।
जय भवानी जय हिन्दू राष्ट्र ।

Source:

drsantoshrai.in

hindumahasabhaa.org



Saturday, April 16, 2016

अंग्रेजों को भी पीछे छोड़ दिया कांग्रेस नेः

 भ्रष्‍टाचार में  सबसे आगे हैं  सोनिया की कांग्रेस

280 लाख करोड़ का सवाल है ...




भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा"* ये कहना है स्विस बैंक के डाइरेक्टरaa. यह भी कहा है कि भारत का लगभग 280 लाख करोड़ रुपये उनके स्विस बैंक में जमा है. ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले 30सालों का... बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है. या यूँ कहें कि 60 करोड़
रोजगार के अवसर दिए जा सकते है. या यूँ भी कह सकते है कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4 लेन रोड बनाया जा सकता है. ऐसा भी कह
सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है. ये रकम इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60 साल तक ख़त्म ना हो. यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत नहीं है. जरा सोचिये ... हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नोकरशाहों ने
कैसे देश को लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक 2011 तक जारी है. इस सिलसिले को अब रोकना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है. अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज करके करीब 1 लाख करोड़ रुपये लूटा. मगर आजादी के केवल64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने 280 लाख करोड़ लूटा है. एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों 280 लाख करोड़ है. यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा करवाई गई है. भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है. सोचो की कितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ है. हमे भ्रस्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार है. हाल ही में हुवे घोटालों का आप सभी को पता ही है - CWG घोटाला, २ जी स्पेक्ट्रुम घोटाला , आदर्श होउसिंग घोटाला... और ना जाने कौन कौन से घोटाले अभी उजागर होने वाले है ..
स्वामी रामदेवजी से ही क्यों डरती है कांग्रेस? विदेशी लोगों का समर्थ...न करने वाली मिडिया क्यों पड़ी है स्वामी जी के पीछे ???? दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है स्वामी रामदेव जी से ही कांग्रेस क्यों परेशान है और डरती है, जानिए कारण:
  1. स्वामी रामदेवजी जी के तर्क के आगे कांग्रेस के तथाकथित प्रवक्ता 5 मिनट भी नहीं टिकेंगे.
  2. स्वामी जी के पास कांग्रेस का वास्तविक इतिहास का साक्ष्य है और कांग्रेस के कारनामो का काला चिटठा है,
  3. अभी तो बात आएगी मंच पर बहस की, जिसकी की आगे के किसी भी चुनाव में जोर देकर मांग की जायेगी, तब ये अज्ञानी प्रवक्ता मंच पर जनता को क्या जवाब देंगे, सरकार हर साल लोगों से 134 प्रकार के टैक्स से कितना पैसा जमा कराती है और ये पैसे कहा खर्च हो जाते है? मंदिरों का पैसा सरकार किस मद में खर्च कराती है जिसे सिर्फ हिन्दू दान देकर इकठ्ठा करता है, ये बहुत बड़ा प्रश्न है.
  4. मंच पर ये बहस नहीं होगी की क्या विकास किया, बहस होगी की राहुलसोनिया, चिदंबरम, पवार, मनमोहन, विलासराव देशमुख, अहमद पटेल, प्रणव मुखर्जी जैसे लोंगो के भी काले धन के खाते है क्या?
  5. काले धन का इतिहास क्या है, पहले कपिल सिब्बल ने कहा कोई भी नुकसान २ जी घोटाले में नहीं हुआ है, फिर अहलुवालिया ने कहा की हा वास्तव में कोई घोटाला नहीं हुआ है, फिर मनमोहन ने कहा इसकी जाँच चल रही है, विपक्ष को टालते रहे, राजा जैसा आदमी जिसके पास अपनी मोबाइल को टाप अप करने का पैसा नहीं हो, यदि वह अपनी पत्नी के नाम 3000 करोड़ रुपया मारीशाश में जमा कर दे, क्या यह सब बिना सोनिया की जानकारी के कर सकता है, उस पार्टी में जहा पर बिना सोनिया के पूछे कोई वक्तव्य तथाकथित प्रवक्ता नहीं दे सकते हैफिर आया महा घोटाला देवास-इसरो डील का जिसमे की 205000 करोड़ की बैंड विड्थ को मात्र 1200 करोड़ के 10 साल के उधार के पैसे में दे दिया गयाभला हो सुब्रमनियम स्वामी जी का जिन्हें इन चोरो को नंगा कर दिया, हमारी कांग्रेसी और विदेशी मिडिया सुब्रमनियम स्वामी की तस्वीर हमेशा से गलत पेश किया है जब की वास्तव में भारत देश को ऐसे ही इमानदार नेताओ की जरुरत है जिसने कभी भी चोरी के बारे में सोचा ही नहीं, फिर आया कामनवेल्थ खेल का 90000 करोड़ का घोटाला, फिर कोयला का घोटाला जिसमे ठेकेदारों द्वारा 10 पैसे प्रति किलो के भाव से कोयला खरीदा जाता है और उसे बाजार में रुपये किलो तक बेचा जाता है, यह रकम अब तक 26 लाख करोड़ होती है,
  6. इटली के 8 बैंक और स्वीटजरलैंड के 4 बैंको को 2005 में भारत में क्योंखोला गया है और इसमे किसका पैसा जमा होता है, ये बैंक किसको लोन देते है और इनका ब्याज क्या है, इनकी जरुरत क्यों आ पड़ी भारत में जब की भारत के ही बैंकरों की बैंक खोलने की अर्जियाँ सरकार के पास धूल खा रही है, इन बैंको को चोरी छुपे क्यों खोला गया है, इन बैंको आवश्यकता क्यों है जब भारत में 80% लोग 20 रूपया प्रतिदिन से भी कम कमाते है.
  7. भारत के किसानो से कमीशन लेने वाले चोर कत्रोची के बेटे को अंदमान दीप समूह में तेल की खुदाई का ठेका क्यों दिया गया 2005 में, किसने दिया ठेका, किसके कहने पर दिया ठेका, क्या वहा पर पहले से ही तेल के कुऊ का पता लगाकर वह स्थान इसे दे दिया गया जैसे की बहुत बार खबरों में अन्य संदर्भो में आती है, यह खबर क्यों छुपाई गयी अब तक, इसे देश को क्यों नहीं बताया गया, मिडिया क्यों इसे छुपा गई, और विपक्ष ने इसे मुद्दा क्यों नहीं बनाया.
  8. सरकार ने पहले कहा की बाबा बकवास कर रहे है, काला धन नाम की कोई चीज नहीं है,
  9. फिर खबर आयी की काला धन है और सबसे ज्यादा भारतीयों का है, यह स्विस बैंको के आलावा 70 और दुसरे देशो में जमा है,
  10. सरकार ने कहा की टैक्स चोरी का मामला है, हम उन देशो से समझौते कर रहे है, जिससे की दोहरा कर न देना पड़े,
  11. यह टैक्स चोरी नहीं भारत देशको लूट डालने का मामला है जिसकी सजा किसान से पूंछो तो सिर्फ मौत देना चाहता है वह भी सब कुछ वसूल लेने के बाद
  12. फिर बात आई की यदि ये भ्रष्टाचारी और लुटेरे इसमे से 15% टैक्स सरकार को दे तो इसे भारत के बैंको में जमा करने दिया जायेगा और किसी को यह हक़ नहीं होगा की वह पूछे की या इतना पैसा कैसे कमाया या लूटा. सरकार इस पर एक कानून ला रही है, क्यों? किसको बचाया जा रहा है? जिसने भी यह गद्दारी की है उसे तो भीड़ ही मार डालेगीइन्ही लोगो की वजह से भारत में इतनी महागायी है की लोग शादी खर्च से बचने के लिए बेटियों की जान ले ले रहे है, किसान आत्महत्या कर रहा ई, गरीब दवा नहीं करा रहा है, बच्चे स्कुल नहीं जा रहे है, इन्हें तो किसी कीमत पर नहीं छोड़ा जा सकता है, ये यूरिया घोटाला करते है और यूरिया किसान को दुगुने दाम बचा जाता है, फिर गेहू सस्ते में खरीदा जाता है, और अब तो घोटाला 115% हो जायेगा, 115 चुराओ, 15 सरकार को देकर 100 खुद रख लो.
  13. हमारे देश में क्यों अनुसन्धान के लिए पर्याप्त पैसा नहीं दिया जाता है, यह कीसकी चाल है, जिसकी वजह से हम 5-10 गुना दाम में विदेशी चीजे खरीदते है,
  14. ऐसे कौन से कारण है जिनके कारन हम नेहरू के द्वारा ट्रांसफर अफ पॉवर अग्रीमेंट 14 अगस्त 1947 को दस्तखत करने के बाद भी आज तक विक्सित नहीं बन पाए, जब की हमारी जनता हफ्ते में 90 घंटा काम करती है जबकि कामचोर अंग्रेज हफ्ते में सिर्फ 30 घंटा काम करते है,
  15. क्या कारण है की हमारे 45 रुपये में 1 डालर और 90 रुपये में 1 पौंड मिलाता है, जब की 1947 में 1 रुपये में 1 डालर मिलता था.
  16. क्या कारण है की हमारे देश में एक भी सोलर ऊर्जा वैज्ञानिक नहीं है और दुनिया भर के परमाणु वैज्ञानिक है जो हमें हमेशा झूठा अश्वाव्हन देते है की यह परमाणु बिजली सस्ती और निरापद है भारत की परमाणु से सम्बंधित कुल बाजार 750 लाख करोड़ का होगा. जब की हम भारत में 400000 मेगावाट सोलर बिजली बना सकते है,
  17. हम अभी तक सुरक्षित अन्ना भण्डारण की व्यवस्था क्यों नहीं बना पाए जब की हमारे पास धन की कमी ही नहीं है, क्योकि अन्न को सडा दिखाकर उसे कौड़ियो के भाव शराब माफिया को बचा जाता है जब की गरीब अन्ना बिना मर रहा है, इसके लिए तो कोई एक व्यक्ति जिम्मेदार होगा, उसकी सजा क्या है,
  18. मीडिया को निष्पक्ष बनाने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है, सभी भारतीयों को पता चल गया है की मिडिया , टीवी और पत्रिकाए सरकार को बिक चुकी है, बड़े शर्म की बात है, शाम को सिर्फ 4 रोटी खाने के लिए भारत माता से गद्दारी क्यों? 19. अगर देश में 2 लाख करोड़ रुपये की नकदी सर्कुलेशन में है तो देश की अर्थव्यवस्था करीब 100 लाख करोड़ रुपयों की होती है. और हमारे देश में रिजर्व बैंक अबतक लगभग 18 लाख करोड़ रुपयों के नोट छाप चुका है और कमसे कम 10 लाख करोड़ रुपये सर्कुलेशन में है. इस हिसाब से देश की अर्थव्यवस्था करीब 400 से 500 लाख करोड़ रुपये होनी चाहिए लेकिन अभी हमारी अर्थव्यवस्था केवल 60 लाख करोड़ की है. जबकि इतनी अर्थव्यवस्था के लिए दो लाख करोड़ से भी कम सर्कुलेशन मनी की जरूरत है.
  19. अगर 400 लाख करोड़ रूपये का काला धन देश में वापिस आ जाता है तो देश की अर्थव्यवस्था करीब 20,000 लाख करोड़ रुपये होगी ... क्या आप जानते हैं कि इस समय अमेरिका सबसे शक्तिशाली देश है और उसकी अर्थव्यवस्था करीब 650 लाख करोड़ की है... मतलब 400 लाख करोड़ रुपये वापिस मिलने पर हम अमरीका से भी 30 गुना ज्यादा शक्तिशाली बन सकते है.
20. मीडिया मे बिके हुए देनिक भास्कर ने आज कहा की बाबा स्वदेशी का प्रचार कराते है और खुद के पतंजलि मे 2 एलसीडी सेमसंग की है और ब्लेकबेरी का मोबाइल उनके अधिकारी के पास हैइसी बिके हुए देनिक भास्कर नाम के दल्ले से एक प्रश्न आप अपने आपको मीडिया कहते हो देश बचाने वाले ? क्या आपने कभीकोशिश भी की स्वदेशी को अपनाने की ? आपके लिए एक एग्रीमेंट स्वतन्त्रता हो जाता है लेकिन स्वदेशी आंदोलन कोई महत्व नहीं रखता ? क्योंकि आपकी झोली भारती है सेमसंग जेसी कंपनीय देनिक भास्कर के वैबसाइट पर ही देख लीजिये कितनी विज्ञापन है सेमसंग के देनिक लाखो मे दिल होती है उत्सव मे तो तादात बढ़ जाती है फिर देनिक भास्कर क्यूँ हरामखोरी नहीं करेगा ? बाबा के स्वदेशी आंदोलन से इन दलालो के मालिक कंपनियों ने इन्हे आदेश दिया है की अपनी कलम हमारे यहाँ गिरवी रखें और बाबा का विरोध करें लोगो को बर्गलाए । जिस दिन इस क्रांति ने आक्रामकता का रूप लिया तब इन मीडिया के दलालो का भी हश्र वही होगा जो हेडलाइन टुडे के दफ्तर मे हुआ था आरएसएस के बारें मे झूठ फेलाने के लिए उस स्टिंग से क्या हुआ ना कोई केस ना कोई समान सिर्फ एक झूठ था जनता को बरगलाने के लिए