फिल्म निर्माता एवं हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता ने आज प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि स्वामी चक्रपाणी आये दिन हिन्दू महासभा का स्वयम्भू घोषित अध्यक्ष कहकर मीडिया में सुर्खियाँ पाता है जबकि चक्रपाणी हिन्दू महासभा का सदस्य भी नही है और ऐसा दिल्ली कि माननीय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पीठ द्वारा निर्णय भी दिया जा चुका है । इतना ही नही स्वामी चक्रपाणी हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं ही नहीं और इस निर्णय की पुष्टि माननीय भारत के उच्चतम न्यायालय ने कर दी है और चक्रपाणी को अब अपने आपको राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं कहना चाहिए और यदि वे अपनें आपको राष्ट्रीय अध्यक्ष कहते हैं तो इसमें माननीय न्यायापालिका घोर अपमान है । जो व्यक्ति हिन्दू महासभा का सदस्य भी न रहा हो वह अध्यक्ष तो क्या किसी भी पद पर नहीं रह सकता । उपरोक्त आधार पर पर यह वाद हिन्दू महासभा कि केन्द्रीय उच्चाधिकार समिति द्वारा जीता गया है । इतना ही नहीं स्वामी चक्रपाणी एवं चन्द्र प्रकाश कौशिक ने “श्री राम जन्मभूमि” के वाद में केवीएट डाला था वह भी माननीय उच्चतम न्यायलय ने रद्द कर दिया था और यह अधिकार “हिन्दू महासभा की केन्द्रीय उच्चाधिकार समिति” के पास है और उस समय केन्द्रीय उच्चधिकार समिति के अध्यक्ष डॉ संतोष राय थे और अब “केन्द्रीय उच्चाधिकार समिति” के अध्यक्ष बाबा नन्द किशोर मिश्र हैं । हिन्दू महासभा कि केन्द्रीय उच्चाधिकार समिति द्वारा डाले गए वाद संख्या SLP3600 को श्री राम लला विराजमान के लिए मान्य किया गया ।
डॉ0 संतोष राय नें आगे कहा कि सभी को यह भी पता है कि जब साधुओं कि “अखाड़ा परिषद्” ने चक्रपाणी को साधू मानने से मना कर दिया तो चक्रपाणी ने एक “संत सभा” नाम का संगठन खड़ा किया और फर्जी लोगों को साधू संत का प्रमाण पत्र देने लगे । चक्रपाणी का एक साथी है प्रमोद कृष्णन जो कि अपने को कल्कि पीठाधीश्वर कहता है उसके सम्बन्ध आजम खान और अन्य साम्प्रदायिक नेताओं से अच्छे हैं और चक्रपाणी द्वारा अपने आप को हिन्दू महासभा का अध्यक्ष कह कर यह सन्देश देना कि कमलेश तिवारी का हिन्दू महासभा से कोई लेना देना नहीं है इसमें घोर षड्यंत्र कि गंध आती है और इन लोगों ने यह सन्देश देने का भी प्रयास किया कि हिन्दू महासभा कमलेश तिवारी के साथ नहीं है । फिल्म निर्माता एवं हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता डॉ संतोष राय ने कहा की मीडिया बिना सोचे समझे किसी भी स्वयंभू व्यक्ति को हिन्दू महासभा का अध्यक्ष या अन्य पदाधिकारी ना बताये और ऐसा करना न्यायलय के आदेशों का उल्लंघन है ।
हिन्दू महासभा के नाम पर अनेक लोगों ने अपने आपको स्वयम्भू अध्यक्ष घोषित कर रखा है जिसके सन्दर्भ में दिल्ली उच्च न्यायलय में वाद संख्या 745/2014 बाबा नन्द किशोर मिश्र बनाम श्री दिनेश चन्द्र त्यागी वगैरह लंबित है । अंतरिम आदेश में माननीय उच्च न्यायलय ने, भारत के निर्वाचन आयोग ने किसी भी व्यक्ति को स्वयंभू अध्यक्ष मानने से मना कर दिया है । हिन्दू महासभा की संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत तदर्थ कार्यकारिणी कार्य कर रही है जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य रमेश मिश्र, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बाबा(पं) नन्द किशोर मिश्र, राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ संतोष राय, राष्ट्रीय महामंत्री आचार्य मदन सिंह एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता अधिवक्ता राकेश आर्य इत्यादि द्वारा संचालित हैं । न्यायलय के निर्णय के पश्चात यह तदर्थ कार्यकारिणी स्वतः समाप्त हो जाएगी और माननीय न्यायलय के देख-रेख में पुनः संगठन का चुनाव होगा ।
श्री कमलेश तिवारी के विरोध में कुछ स्वयम्भू नेताओं द्वारा गलत बयानबाजी की जा रही है जिसका हिन्दू महासभा अपने शब्दों में घोर निंदा करती है और कमलेश तिवारी की गिरफ्तारी एवं रासुका लगाने के विरुद्ध हिन्दू महासभा का प्रतिनिधि मंडल उत्तर प्रदेश के माननीय राज्यपाल श्रीराम नाइक जी से मिलने का समय माँगा है । कमलेश तिवारी पर लगे रासुका को निरस्त कराने के लिए हिन्दू महासभा हर प्रकार का प्रयास करेगी और सड़क से लेकर न्यायलय तक संघर्ष किया जाएगा ।
डॉ0 संतोष राय नें सांप्रदायिक बयानबाजी करने वाले आजम खान पर करारा हमला करते हुए कहा कि आजम खान द्वारा उत्तर प्रदेश में जेहादिओं को सरंक्षण मिल रहा है और उन्हीं जेहादियों ने कमलेश तिवारी कि हत्या करने के लिए अब तक करोड़ों रूपये का इनाम रख दिया है तो क्या उत्तर प्रदेश सरकार आजम खान और अन्य जेहादी तत्वों पर कार्यवाही करेगी जिनके कारण हिन्दुओं में भय का वातावरण बन गया है और यह वातावरण पूरे भारत में भी फ़ैल चुका है । उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, कर्नाटक इत्यादि जगहों पर कमलेश तिवारी की सरेआम हत्या करने कि घोषणा कि जा रही है और तो और कइयों नें तो भारत में शरिया के आधार पर ईश निंदा(Bleshphamy) कानून कि मांग कर डाली और ऐसा ही कानून पाकिस्तान में है जहाँ इस कानून का दुरूपयोग गैर-मुसलमानों के विरुद्ध होता है । क्या यही है सहिष्णुता ? हिन्दू नेताओं द्वारा ईश निंदा के लिए रासुका तो विशेष वर्ग के द्वारा हिन्दू देवी-देवताओं को गाली दी जाय तो उन्हें सम्मान तो ! इस तरह तथाकथित तुष्टीकरण से देश को किस दिशा में ले जाया जा रहा है ?
डॉ राय ने कमलेश तिवारी के विषय पर संघ, विहिप और भाजपा के समर्थन न देने पर भी निंदा कर डाली और उन्होंने कहा कि ये लोग छद्म हिंदूवादी और अवसरवादी हैं जो वोट बैंक के हिसाब से अपने एजेण्डे बना रहे हैं इन्हें हिन्दू हितों से कोई लेना-देना नहीं है और हिन्दू महासभाई शुद्ध हिन्दू राष्ट्रवादी हैं और हिन्दू महासभा अपने ही दम ऐसे हिन्दू विरोधी एवं राष्ट्र विरोधी लोगों से निपटना जानती है ।