Tuesday, November 18, 2014

इस्लामी जिहाद के दो नए रूप

भंडाफोडू

डॉ0 संतोष राय

जो लोग अज्ञानवश   इस्लाम  को  भी   धर्म  समझ   लेते  हैं  ,और  खुद को सबसे बड़ा सेकुलर    साबित  करने के लिए इस्लाम  और हिन्दू धर्म  की  समानता  की  वकालत   करते रहते हैं   ,उन्हें  पता  होना  चाहिए कि  इस्लाम  में  जिहाद के  नाम  पर ऐसे   कुकर्म   भी   जायज हैं   , जिन्हें  करने पर  शैतान   भी  मना   कर  देगा  ,जिस समय   भंडाफोडू   ब्लॉग  में  लव्  जिहाद   के  बारे में  लेख प्रकाशित   हुआ था  , तो  उसकी  टिप्पणी  पर   हमारे एक  जागरूक  पाठक "smmalusare     "  ने  दिनांक    8  फरवरी  2010  को इस्लाम   के  जिहाद  का  ऐसा  घिनावना   और  निंदनीय  रूप  प्रस्तुत  करते हुए  जो  जानकारी  दी  थी   वह  उन्हीं  शब्दों   में  ज्यों  की  त्यों   दी   जा रही  है  , ताकि  लोगों  के दिमाग से इस्लाम   का रोग निकल जाये  , ध्यान  से पढ़िए  ,

इस्लामी जिहाद दो नयें रुपों में सामने आया है. पहला लव जिहाद ( अथवा लिंग जिहाद) और दुसरा गुदा जिहाद , (अश्लील शब्दों के लिए माफी चाहुंगा).
इनमें से पहला लिंग जिहाद है, जिसमें मुस्लिम युवक हिंदू युवती से येनकेन प्रकारेण दोस्ती बनाकर उससे शादी कर लेता है. शादी के बाद बच्चे पैदा करके उसे सेक्स स्लेव्ह बनाकर अपने दोस्तो, रिश्तेदारों को नज़राने के रुप में पेश करता है. हिंदू लडकी झाँसे में आ भी जाए, किंतु अगर उसके पालक अगर समय रहते जागरुक हुए तो लिंग जिहादी को पुलिस के फटके पड़ने की संभावना तो शत प्रतिशत. उपर से कानूनी सजा मिलना अलग और 5-6 साल जेल की चक्की पिसना नसीब में.

लेकिन सबसे खतरनाक है गुदाजिहाद. जी हाँ. यह इसलिए बहुत खतरनाक है की, गुदा जिहादी जबतक आपके करीब ना आए और स्वयं को बम से ना उडा़ दे, आप समझ ही नही सकेंगे की वह एक गुदा जिहादी था (अगर आप की मौत ना हुई हो और बच गए या धमाके में अपाहिज हुए, तो.) होता क्या है कि, मुस्लिम कट्टरवादी किसी गरीब मुस्लिम परिवार के 12-15 साल के बच्चे को बहला फुसलाकर, उसका दिमाग ब्रेनवाश करके तथा उसके माँ-बाप को खासी रकम देकर अपने साथ कर लेते हैं. बाद में उसके दिमाग में दीने इस्लाम और जिहाद की बातें इतनी ठूँस-ठूँस कर भरी जाती हैं कि, वह पुर्णरुपेण (सर से पाँव तक) जिहादी बन जाता है. और ऐसा बने भी क्यों ना? क्योंकि कुरान में तन, मन और धन से जिहाद करना जो सिखाया है, जी हाँ जिहाद अपने तन (शरीर), मन (दिमाग) तथा धन (पैसे) से करो. अब 12-15 साल के लड़के के पास ना तो मन (दिमाग) होता है और ना ही धन (पैसा). तो उसके पास जिहाद के लिए बचा क्या? केवल अपना तन (शरीर). और कुरान में यह भी लिखा है की अपने अंगप्रत्यंग (शरीर के सारे भागों से) जिहाद करना फर्ज है. तो इस जिहादी बच्चे के पास बचा क्या? सिर्फ गुदा. और शातीर कट्टरपंथी इसी का फायदा उठाते हैं. पहले उस बच्चे से गुदामैथुन करके अपनी हवस को शांत करते है और साथ ही तबतक उसकी गुदामैथुन करते है जबतक की उसकी गुदा इतनी चौड़ी ना हो जाए कि उसमें आर.डी.एक्स. तथा डिटोनेटर घुस जाएँ. एक बार गुदा के अंदर आर.डी.एक्स., डिटोनेटर वैगराह विस्फोटक सामाग्री फिट कर दी जाये, बाद में उसे रिमोट कंट्रोल से जोडकर उसका रिसिव्हर गुदा जिहादीके पिठ पर बाँध देते हैं. (पिठ पर बाँधने से गुदा जिहादी उसे छु नहीं सकता. और ऐसा इसलिए करते हैं की शायद आगे जाकर गुदा जिहादी बगावत करें तो भी उसके हाथ पिठ में बँधे रिसिवर तक नां पहुँचे और कट्टरपंथियों का उसे विस्फोट करने का अंजाम पूरा हो जाए) आगे गुदा जिहादी किसी भी भिड़भाडवाली जगह पर पहुँच गया तो उसे कट्टरपंथी अपने रिमोट कंट्रोल से उडा देते हैं.
इसलिए प्रिय भारतीय नागरिकों, अपने आप को सँभालो. मुसलमानों की बस्तियाँ अपने पास ना बनने दें. मुस्लिम युवकों से सदैव सावधान (दोस्ती बनाने का केवल बहाना करें, ना की सचमुचके दोस्त बन जाएँ). अपने नजदिक किसी 12-15 साल के मुसलमान बच्चे को ना आने दें. (हो सकता है वह शायद गुदाजिहादी हो. क्या भरोसा?) अपनें बच्चों को मुसलमान बच्चों के साथ मेलमिलाप नां करने दें और उन्हें हमेशा दूर रखें. सदैव हिंदू सभ्यता का सम्मान, आदर करें. हिंदूराष्ट्र का अभिमान रखें.फिर भी मुसलमान  कहते हैं  कि  जिहाद   का   मतलब जुल्म  का  विरोध   करना  है , लानत  है  ऐसे जिहाद  पर और थू है ऐसे इस्लामी विचार  पर  . 

जय हिंदूराष्ट्र

Is Sodomy The New Jihadi Training Method?


https://www.youtube.com/watch?v=jaheeT4rTR4

इस लेख को हमारे भंडाफोडू ब्‍लॉग पर भी पढ़ सकते हैं:

http://bhaandafodu.blogspot.in/search/label/%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A6

इस्लामी बंदगी दरिंदगी और गंदगी !

भंडाफोडू
डॉ0 संतोष राय

जगत में जितने भी जीवधारी हैं ,सबको अपनी जान प्यारी होती है .और सब अपने बच्चों का पालन करते हैं .इसमे किसी को कोई शंका नहीं होना चाहिए .परन्तु अनेकों देश के लोग इन निरीह और मूक प्राणियों को मार कर उनके शरीर के अंगों या मांस को खाते हैं.ऐसे लोग इन प्राणियों को मार कर खाने के पक्ष में कई तर्क और फायदे बताते हैं .सब जानते हैं कि बिना किसी प्राणी को मारे बिना उसका मास खाना असंभव है ,फिर भी ऐसे लोग खुद को "शरीर भक्षी (Carnivorous ) कि जगह (Non vegetarian ) कहकर खुद को सही ठहराते हैं .कुछ लोग शौक के लिए और कुछ देखादेखी भी आमिष भोजन करते हैं .लेकिन इस्लाम ने मांसभक्षण को और जानवरों की क़ुरबानी को एक धार्मिक और अनिवार्य कृत्य बना दिया है . और क़ुरबानी को अल्लाह की इबादत का हिस्सा बताकर सार्वजनिक रूप से मानाने वाला त्यौहार बना दिया है .क़ुरबानी ,क्या है , इसका उद्देश्य क्या है ,और मांसाहार से इन्सान स्वभाव में क्या प्रभाव पड़ता है ,यह इस लेख में कुरान और हदीस के हवालों दिया जा रहा है .साथ में कुछ विडियो लिंक भी दिए हैं .देखिये
1-कुरबानी का अर्थ और मकसद
अरबी शब्दकोश के अनुसार "क़ुरबानी قرباني" शब्द मूल यह तीन अक्षर है 1 .قकाफ 2 .رरे 3 और  ب बे = क र बق ر ب .इसका अर्थ निकट होना है .तात्पर्य ऐसे काम जिस से अल्लाह की समीपता प्राप्त हो . हिंदी में इसका समानार्थी शब्द " उपासना" है .उप = पास ,आस =निकट .लेकिन अरबी में जानवरों को मारने के लिए "उजुहाالاضحي " शब्द है जिसका अर्थ "slaughter " होता है .इसमे किसी प्रकार की कोई आध्यात्मिकता नजर नहीं दिखती है .बल्कि क्रूरता , हिंसा ,और निर्दयता साफ प्रकट होती है .जानवरों को बेरहमी से कटते और तड़प कर मरते देखकर दिल काँप उठता है और यही अल्लाह चाहता है , कुरान में कहा है ,
"और उनके दिल उस समय काँप उठते हैं , और वह अल्लाह को याद करने लगते हैं " सूरा -अल हज्ज 22 :35
2-क़ुरबानी की विधियाँ
यद्यपि कुरान में जानवरों की क़ुरबानी करने के बारे में विस्तार से नहीं बताया है और सिर्फ यही लिखा है ,
"प्रत्येक गिरोह के लिए हमने क़ुरबानी का तरीका ठहरा दिया है , ताकि वह अपने जानवर अल्लाह के नाम पर कुर्बान कर दें "
सूरा -हज्ज 22 :34
लेकिन सुन्नी इमाम " मालिक इब्न अबी अमीर अल अस्वही" यानि मालिक बिन अनस مالك بن انس "(711 - 795 ई० ) नेअपनी प्रसिद्ध अल मुवत्ताThe Muwatta: (Arabic: الموطأकी किताब 23 और 24 में जानवरों और उनके बच्चों की क़ुरबानी के जो तरीके बताएं है . उसे पढ़कर कोई भी अल्लाह को दयालु नहीं मानेगा ,
 3-पशुवध की राक्षसी विधियाँ
मांसाहार अरबों का प्रिय भोजन है ,इसके लिए वह किसी भी तरीके से किसी भी जानवर को मारकर खा जाते थे . जानवर गाभिन हो या बच्चा हो ,या मादा के पेट में हो सबको हजम कर लेते थे . और रसूल उनके इस काम को जायज बता देते थे बाद में यही सुन्नत बन गयी है और सभी मुसलमान इसका पालन करते हैं ,इन हदीसों को देखिये ,
अ -खूंटा भोंक कर
"अनस ने कहा कि बनू हरिस का जैद इब्न असलम ऊंटों का चरवाहा था , उसकी गाभिन ऊंटनी बीमार थी और मरणासन्न थी . तो उसने एक नोकदार खूंटी ऊंटनी को भोंक कर मार दिया . रसूल को पता चला तो वह बोले इसमे कोई बुराई नहीं है ,तुम ऊंटनी को खा सकते हो "
मालिक मुवत्ता-किताब 24 हदीस 3
ब-पत्थर मार कर
"याहया ने कहा कि इब्न अल साद कि गुलाम लड़की मदीने के पास साल नामकी जगह भेड़ें चरा रही थी. एक भेड़ बीमार होकर मरने वाली थी.तब उस लड़की ने पत्थर मार मार कर भेड़ को मार डाला .रसूल ने कहा इसमे कोई बुराई नहीं है ,तुम ऐसा कर सकते हो "
मालिक मुवत्ता -किताब 24 हदीस 4
जानवरों को मारने कि यह विधियाँ उसने बताई हैं , जिसको दुनिया के लिए रहमत कहा जाता है ?और अब किस किस को खाएं यह भी देख लीजये .
4-किस किस को खा सकते हो
इन हदीसों को पढ़कर आपको राक्षसों की याद आ जाएगी .यह सभी हदीसें प्रमाणिक है ,यह नमूने देखिये
अ -घायल जानवर
"याह्या ने कहा कि एक भेड़ ऊपर से गिर गयी थी ,और उसका सिर्फ आधा शरीर ही हरकत कर रहा था ,लेकिन वह आँखें झपक रही थी .यह देखकर जैद बिन साबित ने कहा उसे तुरंत ही खा जाओ "मालिक मुवत्ता किताब 24 हदीस 7
ब -मादा के गर्भ का बच्चा
"अब्दुल्लाह इब्न उमर ने कहा कि जब एक ऊंटनी को काटा गया तो उसके पेट में पूर्ण विक्सित बच्चा था ,जिसके बल भी उग चुके थे . जब ऊंटनी के पेट से बच्चा निकाला गया तो काफी खून बहा ,और बच्चे दिल तब भी धड़क रहा था.तब सईद इब्न अल मुसय्यब ने कहा कि माँ के हलाल से बच्चे का हलाल भी माना जाता है . इसलिए तुम इस बच्चे को माँ के साथ ही खा जाओ " मुवत्ता किताब 24 हदीस 8 और 9
स -दूध पीता बच्चा
"अबू बुरदा ने रसूल से कहा अगर मुझे जानवर का केवल एकही ऐसा बच्चा मिले जो बहुत ही छोटा और दूध पीता हो , रसूल ने कहा ऐसी दशा में जब बड़ा जानवर न मिले तुम बच्चे को भी काट कर खा सकते हो " मालिक मुवत्ता -किताब 23 हदीस 4
5-क़ुरबानी का आदेश और तरीका
वैसे तो कुरान में कई जानवरों की क़ुरबानी के बारे में कहा गया है ,लेकिन यहाँ हम कुरान की आयत विडियो लिंक देकर कुछ जानवरों की क़ुरबानी के बारे जानकारी दे रहे हैं .ताकि सही बात पता चल .सके , पढ़िए और देखिये ,
अ -गाय "याद करो जब अल्लाह ने कहा की गाय को जिबह करो ,जो न बूढी हो और न बच्ची बीच का आयु की हो "सूरा -बकरा 2 :67 -68


http://www.youtube.com/watch?v=Giz6aMHuDhU&feature=related

ब- ऊंट -"और ऊंट की कुरबानी को हमने अल्लाह की भक्ति की निशानियाँ ठहरा दिया है "सूरा अल हज्ज 22 :36

http://www.youtube.com/watch?v=uT9oFsxqTsg&feature=related

स -चौपाये बैल -"तुम्हारे लिए चौपाये जानवर भी हलाल हैं ,सिवाय उसके जो बताये गए हैं "सूरा-अल 22 :30

http://www.youtube.com/watch?v=RMDLNLK83kg&feature=related

6-गैर मुस्लिमों को गोश्त खिलाओ
"इब्ने उमर और और इब्न मसूद ने कहा की रसूल ने कहा है ,कुरबानी का गोश्त तुम गैर मुस्लिम दोस्त को खिलाओ ,ताकि उसले दिल में इस्लाम के प्रति झुकाव पैदा हो "
 it is permissible to give some of it to a non-Muslim if he is poor or a relative or a neighbor, or in order to open his heart to Islam.


"فإنه يجوز أن أعطي بعض منه الى غير مسلم إذا كان فقيرا أو أحد الأقارب أو الجيران، أو من أجل فتح صدره للإسلام "


Sahih Al-Jami`, 6118
गैर मुस्लिमों जैसे हिन्दुओं को गोश्त खिलाने का मकसद उनको मुसलमान बनाना है ,क्योंकि यह धर्म परिवर्तन की शुरुआत है .बार बार खाने से व्यक्ति निर्दयी और कट्टर मुसलमान बन जाता है .

7-गोश्तखोरी से आदमखोरी
मांसाहारी व्यक्ति आगे चलकर नरपिशाच कैसे बन जाता है ,इसका सबूत पाकिस्तान की ARY News से पता चलता है ,दिनांक 4 अप्रैल 2011 पुलिस ने पाकिस्तान पंजाब दरया खान इलाके से आरिफ और फरमान नामके ऐसे दो लोगों को गिरफ्तार किया ,जो कब्र से लाशें निकाल कर ,तुकडे करके पका कर खाते थे . यह परिवार सहित दस साल से ऐसा कर रहे थे.दो दिन पहले ही नूर हुसैन की 24 की बेटी सायरा परवीन की मौत हो गयी थी ,फरमान ने लाश को निकाल लिया ,जब वह आरिफ के साथ सायरा को कट कर पका रहा था ,तो पकड़ा गया . पुलिस ने देगची में लड़की के पैर बरामद किये . इन पिशाचों ने कबूल किया कि हमने बच्चे और कुत्ते भी खाए हैं .ऐसा करने कीप्रेरणा हमें दूसरों से मिली है , जो यही काम कराते हैं . विडियो लिंक

http://www.youtube.com/watch?v=uoDpLHCr7e0

8-हलाल से हराम तक
खाने के लिए जितने भी जानवर मारे जाते हैं ,उनका कुछ हिस्सा ही खाया जाता है , बाकी का कई तरह से इस्तेमाल करके लोगों को खिला दिया जाता है ..इसके बारे में पाकिस्तान के DUNYA NEWS की समन खान ने पाकिस्तान के लाहौर स्थित बाबू साबू नाले के पास बकर मंडी के मजबह (Slaughter House ) का दौरा करके बताया कि वहां ,गधे कुत्ते , चूहे जैसे सभी मरे जानवरों की चर्बी निकाल कर घी बनाया जाता है . यही नहीं होटलों में खाए गए गोश्त की हडियों को गर्म करके उसका भी तेल निकाल कर पीपों में भर कर बेच दिया जाता है ,जिसे जलेबी ,कबाब ,समोसे आदि तलने के लिए प्रयोग किया होता है . खून को सुखा कर मुर्गोयों की खुराक बनती है . फिर इन्हीं मुर्गियों को खा लिया जाता है .आँतों में कीमा भरके बर्गर बना कर खिलाया जाता है .विडियो लिंक

http://www.youtube.com/watch?feature=endscreen&NR=1&v=6YdtLZGsK_E

हमारी सरकार जल्द ही पाकिस्तान के साथ व्यापारिक अनुबंध करने जारही है ,और तेल या घी के नाम पर जानवरों की चर्बी और ऐसी चीजें यहाँ आने वाली हैं .
लोगों को फैसला करना होगा कि उन्हें पूर्णतयः शाकाहारी बनकर ,शातिशाली , बलवान ,निर्भय और जीवों के प्रति दयालु बन कर देश और विश्व कि सेवा करना है ,या धर्म के नाम पर या दुसरे किसी कारणों से प्राणियों को मारकर खाके हिसक क्रूर निर्दयी सर्वभक्षी पिशाच बन कर देश और समाज के लिए संकट पैदा करना है .
दूसरेधर्मों के लोग ईश्वर को प्रसन्न करने और उसकी कृपा प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या करके खुद को कष्ट देते हैं .लेकिन इस्लाम में बेजुबान जानवरों को मार कर अल्लाह को खुश किया जाता है . और इसी को इबादत या बंदगी माना जाता है .फिर यह बंदगी दरिंदगी बन जाती है .और जिसका नतीजा गन्दगी के रूप में लोग खाते हैं
 इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद विचार जरुर करिए .
माँसाहारी अत्याचारी ,और अमानुषिक हो सकते हैं लेकिन बलवान और सहृदय कभी नहीं सो सकते .



http://spl.qibla.com/Hadith/H0001P0024.aspx

आप हमारे लेख निम्‍न लिंक पर पढ़ सकते हैं:

       http://bhaandafodu.blogspot.in/search/label/%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%97%E0%A5%80

Saturday, November 15, 2014

मुसलमान से दस सवाल !

डॉ0 संतोष राय

यह   एक  कटु  सत्य   है  कि   आज    भारतीय   महाद्वीप   में    जितने भी   मुसलमान   हैं   , उनके पूर्वज    कभी   हिन्दू    थे   जिनको    मुस्लिम    बादशाहों   ने   जबरन   मुसलमान    बना   दिया   था  .  लेकिन   दुर्भाग्य   की   बात है  कि   विदेशी   पैसों   के बल पर  इस्लाम   के  एजेंट  ऐसे  हिन्दुओं     का  धर्म  परिवर्तन कराने में  लगे  रहते हैं  जो इस्लाम  की असलियत  से  अनभिज्ञ   हैं  , या जिनको    हिन्दू  धर्म  का आधा अधूरा   ज्ञान   होता   है  , और दुर्भाग्य से  ऐसे  हिन्दू  युवक  , युवतियां    सेकुलर  विचार वाले होते हैं  , तो  इस्लाम   के प्रचारक  आसानी से उनको  इस्लाम  जाल में  फसा  लेते हैं   , इसलिए  इस्लाम    के  चक्कर   में  फसने  से बचने का  एक  ही  उपाय  है  ,कि  इस्लाम   के  एजेंटों  से  तर्कपूर्ण     सवाल  किये   जाएँ   . क्योंकि  इस्लाम सिर्फ ईमान  लाने  पर  ही  जोर  देता  है  , और  अगर कोई  इस्लाम   के  दलालों   से   सवाल   करता   है  , तो यातो   वह  भड़क   जाते हैं  , या  लड़ने  पर  उतारू   हो  जाते  हैं  .
अक्सर  देखा  गया  है  कि  कुछ  उत्साही   हिन्दू   इस्लाम   के  समर्थकों    के साथ शाश्त्रार्थ     किया  करते  हैं   , इसलिए   उनकी  सहायता के लिए दस  ऐसे  सवाल   दिए  जा   रहे  हैं  , जिनका  सटीक  प्रमाण  सहित  और   तर्कपूर्ण    जवाब   कोई  मुल्ला मौलवी    नहीं  दे  सकता  .

1-.मुसलमानों   का दावा  है  कि  कुरान  अल्लाह की  किताब  है   ,लेकिन   कुरान   में  बच्चों  की  खतना   करने का   हुक्म  नहीं   है  फिर भी  मुसलमान   खतना क्यों    कराते   है  क्या   अल्लाह में  इतनी  भी    शक्ति  नहीं   है कि मुसलमानों   के  खतना  वाले   बच्चे   ही  पैदा    कर सके ?और  कुरान  के विरद्ध   काम  करने   से  मुसलमानों   को  काफ़िर   क्यों   नहीं   माना जाए  ?

2-मुसलमान   मानते हैं   कि  अल्लाह  ने फ़रिश्ते  के  हाथो   कुरआन   की  पहली  सूरा   लिखित रूप   में  मुहम्मद  को  दी थी  , लेकिन  अनपढ़ होने से वह  उसे    नहीं   पढ़   सके  , इसके  अलावा   मुसलमान   यह   भी  दावा करते हैं   कि  विश्व  में कुरान   एकमात्र ऐसी  किताब  है जो   पूर्णतयः  सुरक्षित   है   , तो  मुसलमान     कुरान    की   वह    सूरा  पेश   क्यों   नहीं   कर देते    जो  अल्लाह  ने लिख कर भेजी  थी    , इस से  तुरंत  पता हो जायेगा कि वह  कागज   कहाँ   बना था   ? और  अल्लाह   की  राईटिंग   कैसी    थी  ?वर्ना  हम  क्यों   नहीं   माने कि  जैसे  अल्लाह फर्जी   है   वैसे ही  कुरान   भी  फर्जी   है

3. इस्लाम के मुताबिक यदि 3 दिन/माह का बच्चा मर जाये तो उसको कयामत के दिन क्या मिलेगा.-जन्नत या जहन्नुम ? और  किस आधार   पर   ??
4. मरने के बाद जन्नत में पुरुष को 72 हूरी (अप्सराए) मिलेगी...तो स्त्री को क्या मिलेगा...... 72 हूरा (पुरुष वेश्या) .??और  अगर  कोई  बच्चा  पैदा  होते ही  मर   जाये    तो   क्या  उसे भी  हूरें  मिलेंगी   और वह  हूरों   का क्या  करेगा  ?

5.- यदि   मुसलमानों की  तरह  ईसाई   , यहूदी  और  हिन्दू   मिलकर     मुसलमानों  के विरुद्ध  जिहाद  करें    तो  क्या मुसलमान  इसे   धार्मिक   कार्य   मानेंगे   या  अपराध    और  क्यों ?

6-.यदि कोई  गैर  मुस्लिम  (काफ़िर) यदि अच्छे गुणों वाला हो तो भी. क्या अल्लाह उसको जहन्नुम की आग में झोक देगा....? और क्यों ?और, अगर ऐसा करेगा तो.... क्या ये अन्याय नहीं हुआ ??

7.कुरान   के  अनुसार  मुहम्मद  सशरीर  जन्नत   गए  थे  , और  वहां  अल्लाह  से बात भी  की थी   लेकिन  जब अल्लाह  निराकार है  , और उसकी कोई   इमेज (छवि) नहीं है तो..मुहम्मद ने अल्लाह को कैसे देखा ??और   कैसे  पहिचाना  कि यह  अल्लाह   है   , या  शैतान    है  ?
8-  मुसलमानों   का  दावा   है कि      जन्नत  जाते  समय   मुहम्मद   ने  येरूसलम     की   बैतूल  मुक़द्दस   नामकी मस्जिद   में  नमाज  पढ़ी  थी ,लेकिन  वह   मुहम्मद के  जन्म  से पहले ही  रोमन    लोगों  ने  नष्ट  कर दी थी  .  मुहम्मद के  समय उसका  नामो  निशान   नहीं  था  , तो  मुहम्मद  ने उसमे नमाज कैसे पढ़ी थी  ? हम   मुहम्मद को  झूठा   क्यों   नहीं  कहें   ?

9-.अल्लाह ने  अनपढ़  मुहम्मद में  ऐसी   कौनसी   विशेषता   देखी  .  जो  उनको   अपना  रसूल  नियुक्त   कर दिया   ,क्या   उस  समय  पूरे अरब  में एकभी  ऐसा पढ़ालिखा    व्यक्ति   नहीं    था   , जिसे  अल्लाह   रसूल  बना   देता   , और  जब  अल्लाह  सचमुच  सर्वशक्तिमान   है  , तो   अल्लाह  मुहम्मद  को  63  साल   में भी    अरबी  लिखने    या  पढने की    बुद्धि   क्यों नहीं   दे पाया

10.जो  व्यक्ति  अपने  जिहादियों   की  गैंग   बना कर   जगह जगह लूट   करवाता   हो   और लूट के  माल से बाकायदा      अपने लिए पाँचवाँ हिस्सा  (20 %० )  रख   लेता  हो  उसे   उसे  अल्लाह   का रसूल   कहने की  जगह  लुटरों    का  सरदार  क्यों  न   कहें  ?

नोट-  यह  प्रश्नावली    भंडाफोडू    ब्लॉग    के लेखों  से   चुन   कर  बनायी   गयी   है  , जो पिछले   7  सालों   से इस्लाम   के नाम पर   होने वाले  आतंक  और  हिन्दू  विरोधी    जिहाद  का  भंडा   फोड़   करता   आया   है  . इन लेखों   का उद्देश्य  इस्लाम  की  असलियत  लोगों   को बताना है   क्योंकि  इस्लाम   धर्म  नहीं  एक   उन्माद   है   जो  विश्व   के  लिए  विशेष  कर  भारत के लिए  खतरा   है   . पाठकों   से निवेदन   है  कि  वह  भंडाफोडू  ब्लॉग  और  फेसबुक     में  इसी   नाम  के  ग्रुप   के लेखों   को  ध्यान   से पढ़ें   और   उनका  प्रचार  प्रसार करें   .  इनकी लिंक   दी   जा रही   है 


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आप हमारे इस लेख को नीचे दिये लिंक पर चटखा लगाकर पढ़ सकते हैं:

http://bhaandafodu.blogspot.in/2014/11/blog-post.html

मुसलमानों के लिंग पिघल गए !!

 भंडाफोडू

संतोष राय 

लेख  का   ऐसा शीर्षक  पढ़ कर  पाठक  जरूर  हँसेंगे , लेकिन  यह अफरीका के मुस्लिम  देश सूडान  की  राजधानी  खारतूम  की सत्य  घटना  है।  और मुसलमानों  के  अंधविश्वास  , भेड़चाल और मूर्खता   को  साबित  करने के लिए  पर्याप्त  है  ,

चूँकि  इस्लाम  ज्ञान  की  जगह ईमान( अंध विश्वास  )  पर   जोर  देता  है  , और  किसी  भी   तथ्य  को परखने  और  प्रश्न  करने को गुनाह  मानता है , और  मुल्ले  कहते  है  कि अल्लाह को  ईमान   के बारे में अक्ल   का   दखल  करना पसंद नहीं   है  . मुसलमानों  के  कलमए  शहादत   से  उनकी भेड़ चाल   साबित होती   है  , जब  वह  कहते  हैं  "अश्हदु अन्  ला  इलाहा  इल्लल्लाह  , व् अश्हदु अन  मुहमदर्रसूलुल्लाह " अर्थात  " गवाही  देता हूँ अल्लाह के आलावा  कोई  देवता  नहीं  , और  गवाही  देता  हूँ  कि मुहम्मद  अल्लाह   का  रसूल  है   . इस्लाम के  उदय से आज  तक मुसलमान  बिना किसी  सबूत  के  यही  गवाही  देते आ रहे हैं  , लेख   का मुख्य  विषय मुसलमानों   की  ऐसी ही झूठी गवाही देने की आदत , भेड़चाल  और  मूर्खता प्रकट करती है  . यद्यपि   यह  घटना 28  अक्टूबर  2003  की   है  और  लोग  इसे भूल  गए होंगे   . लेकिन  यह घटना  भारत से  सम्बंधित   है  इसलिए  इसे  देना  जरूरी  है  .
सूडान  के  के मुसलमान  चाय  की  जगह गुड़हल   के  फूलों  का चूर्ण उबाल कर  पीते  हैं  , जो  भारत से निर्यात  किया जाता  है   . गुडहल  को  अंगरेजी  में " Hibiscus  "  कहा जाता है  , इसका  बोटेनिकल  नाम  " Hibiscus sabdariffa   "  है  . इसके  लाल  रंग  के फूलों   को  सुखा  कर   चूरा  करके उबाल जाता   है , फिर इसे  चाय की  तरह   पिया  जाता है  , या  ठंडा  करके शरबत की  तरह  पीते हैं.
 अरबी   में  इसे " करदियह -كركديه     " कहते हैं  गुडहल से बनी चाय को प्रयोग सर्दी-जुखाम और बुखार आदि को ठीक करने के लिये प्रयोग की जाती है।
 .http://.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/9/94/Flor_de_Jamaica.jpg/220px-Flor_de_Jamaica.jpg

सूडान  के  अरबी  अखबार " अल कुदस अल अरबी - لقدس العربي  "  के  अनुसार  दिंनांक  28  अक्टूबर  2003  के अनुसार सूडान की  राजधानी  खारतूम  में जब एक  व्यक्ति  दुकान    से " कर्दियाः " का  पैकेट खरीदने गया  तो  अचानक  उसका लिंग  पिघल कर उसके शरीर  में समां गया  ( his penis melt into his body ) .यही नहीं   दुकानदार का लिंग  भी  थर्राने  लगा (seller felt his penis shivering) .

   ग्राहक  और  दूकानदार  यह चमत्कार  देख  कर बेसुध हो  गए  और  तुरंत  उनको अस्पताल भेज  दिया गया  . सूडानी   अखबार " अल  राइ अल आलम अस सूडान -  -السودان    الرأي العام
  "के  अनुसार उसके  बाद  जिस  भी  मुस्लिम  ने  किसी  गैर  मुस्लिम   से  हाथ  मिलाया   उन  सभी  के लिंग  पिघल   कर गायब   हो  गए।  लोग  इसके लिए भारत से  भेजी गयी चाय  को जिम्मेदार  बताने लगे  .  इसी   तरह  एक  व्यक्ति   ने  अपना  नाम बताये बिना कहा की  जब वह बाजार में  दुकान   से  कंघा  खरीदने गया तो तो उसे  अपने लिंग में अजीब  सी अनुभूति होने लगी , और थोड़ी   ही  देर में  उसे  पता हुआ की वह  अपना लिंग  खो  चूका  है   ( Another victim, who refused to give his name, said that while he was at the market, a man approached him, gave him a comb, and asked him to comb his hair. When he did so, within seconds, he said, he felt a strange sensation and discovered that he had lost his penis ) धीमे  धीमे  फोन  और मोबाईल  से लिंग गायब होने की हजारों  खबरें पूरे खारतूम  में  फ़ैल गयीं  . सारे शहर में हजारों  ऐसे   गवाह  प्रकट हो गए जो   दावा करने लगे कि मेरे सामने  मेरे  अमुक मित्र  या  पड़ौसी  का लिंग गायब  हो गया  . जब हजारों   लोग कसम खाकर  यही  गवाही देने लगे तो   . खारतूम  के एटॉर्नी  जनरल " ( Attorney General    )सलाह  अबू  जैद (  Salah Abu Zayed  )  ने आदेश   दिया  की  जिनके  भी  लिंग   गायब   हो   गए हैं उन  सभी को एक  विशेष मेडिकल  कमिटी  के  सामने  जाँच   के लिए  प्रस्तुत  किया  जाए  . जो  लिंग गायब  होने  का  कारण   पता  करे  ,

लेकिन   जाँच  के बाद जो  भी पता  चला , वह  काफी  हास्यास्पद  है  , क्योंकि  सभी  के लिंग सलामत थे। सभी  शिकायत कर्ता  स्वस्थ  थे। सभी  मुसलमान लिंग गायब   होने  की झूठी  शिकायतें   कर  रहे  थे  , और  उनके मित्र  इसलिए झूठी  गवाही  दे रहे थे , क्योंकि उनका कलमा  खुद  झूठी  गवाही  देने की  शिक्षा  देता  है।

निष्कर्ष - .जिस  तरह  से  सूडान   के  मुसलमान  बिना  किसी  प्रमाण  के  लोगों  के  लिंग  पिघलने की  बात किसी से सुन  कर  दूसरों   तक  फैलाते  रहे  और लोग  सुनी  सुनाई  बातों   पर  गवाही  देते  रहे  , उसी  तरह  सभी  मुसलमान  कलमा   पढ़ कर  रोज  झूठी  गवाही   देते हैं  , कि  मुहम्मद अल्लाह के रसूल  है ,
न्याय  शाश्त्र   के  अनुसार ऐसी  गवाही  को " श्रुतानुश्रुति साक्ष्य "  कहा  जाता   है   . सामान्य   अंगरेजी में  इसे   "Hearsay evidence     "  इसे   "  disambiguation  "   भी  कहते  हैं .भारतीय साक्ष्य  अधिनियम (  the Indian Evidence Act, 1872  ) की धारा 32  और 60   में श्रुतानुश्रुति   गवाही  की परिभाषा   इस प्रकार दी  गयी   है ,

"HEARSAY EVIDENCE. The evidence of those who relate, not what they know themselves, but what they have heard from others.
     2. As a general rule, hearsay evidence of a fact is not admissible. If any fact is to be substantiated against a person, it ought to be proved

Oral  testimony about an out-of-court statement attributed to someone other than the testifying person. Such evidence is generally inadmissible because the person to whom the statement is attributed cannot be cross-examined

अर्थात  -श्रुतानुश्रुति ऐसी  गवाही    होती  है  जिसके बारे में  गवाह  खुद  नहीं   जानता  हो  , और  उसने  सारी  बातें   दूसरों    से सुनी  हों   . और सामान्य  नियम  के  अनुसार  ऐसी  गवाही  स्वीकार्य   नहीं   हो  सकती , जब तक तथ्य    प्रमाणित  नहीं किये  जाएँ   , 2 . ऐसी  गवाही   इसलिए भी स्वीकार्य नहीं  हो सकती क्योंकि अदालत  में बहस  के लिए गवाह   को  प्रस्तुत   नहीं   किया  जा  सकता   है  .
इसलिए   लोगों   को  समझ   लेना चाहिए कि  यदि  सारे मुसलमान  गरम  तवे    पर बैठ   कर भी  गवाही  दें  कि केवल  अल्लाह  की ही  इबादत करो और मुहम्मद   अल्लाह  के  रसूल  है  . तो  उनकी   इस बात पर  हरगिज   विश्वास   नहीं  करना   , क्योंकि  यह बात उसी  तरह झूठ  है   जैसे  लिंग पिघलने की  बात है  .




 http://www.businessdictionary.com/definition/hearsay-evidence.html#ixzz3GBbWO3is


http://wikiislam.net/wiki/Muslim_Conspiracy_Theories


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